
अजब ग़ज़ब - भारतीय वैज्ञानिक ने बनाया 'विंगलैस प्लेन' जो ईंधन नहीं हवा से उड़ता है
भविष्य में तेज गति के हवाई सफर के लिए आज वैज्ञानिक और इंजीनियर हर संभव आइडिया पर काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं इको-फ्रेंडली (eco friendly) यान बनाना भी प्राथमिकता है जिसमें ऊर्जा कम खर्च हो और कार्बन उत्सर्जन भी न हो। इसी विचार को बहुत जल्द हकीकत में बदलने का प्रयास कर रहे हैं भारतीय मूल के अमरीकी भौतिकी विज्ञानी सुब्रत रॉय। फ्लोरिडा विश्वविद्यालय (Florida University) में एप्लाइड फिजिक्स रिसर्च (Applied Physics Research) समूह के प्रोफेसर रॉय दक्षिण-पूर्व अमरीका के गेन्सविले में अपनी प्रयोगशाला में बिना पंख (यान के विंग) का ऐसा विमान बनाने में जुटे हुए हैं जो अपने आस-पास मौजूद हवा को ईंधन के रूप में इस्तेमाल कर सकता है। अमरीकी पेटेंट विभाग इसे 'पंख रहित विद्युत चुंबकीय वायु वाहन' (विंगलैस इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयर व्हीकल या वीव्ज) नाम दिया है।
गोली भी चला सकता है
इस यान में कोई भी हिलने-डुलने वाला पुर्ज़ा नहीं है। यह विशेष रूप से अपने आप टेकऑफ करने, हवा में मंडराने और उड़ान भरने में सक्षम है। रॉय के प्रस्तावित प्रोटोटाइप का आकार हमारी हथेली के बराबर यानी करीब 6 इंच (15.2 सेमी) है। इस यान में अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और अमरीकी वायु सेना ने भी रुचि दिखाई है। इतना ही नहीं यूएस एयर फोर्स ऑफिस ऑफ साइंटिफिक रिसर्च ने इसका खर्चा उठाया है। इसे आसानी से हाई-डेफिनिशन कैमरों के साथ फिट कर रिमोट से नियंत्रित किया जा सकता है। इसका उपयोग निगरानी और नेविगेशन में हो सकता है। पेटेंट में यह भी जिक्र किया गया है कि भविष्य में इसे अपगे्रट कर भविष्य के युद्ध के मैदान में गोली मारने या हमला करने के लिए किया जा सकता है। यह ड्रोन या कॉपर्स जैसी अन्य फ्लाइंग मशीनों की तुलना में अधिक उन्नत है। यह वहां भी काम करता है जहां अन्य फ्लाइंग मशीनें हार मान लेती हैं। यह टोही मिशन, निगरानी, हवाई फोटोग्राफी, मैपिंग, और नेविगेशन के लिए बहुत उपयोगी हो सकता है, विशेष रूप से अभेद्य क्षेत्रों में।
ऐसे चलता है यान
वीव्ज का डिज़ाइन इसकी सतह द्वारा उत्पन्न एक इलेक्ट्रो या मैग्नेटो हाइड्रोडायनामिक थ्रस्ट पर आधारित है। यह एम्बेडेड इलेक्ट्रोड से कवर है जिसे प्लाज्मा एक्ट्यूएटर्स कहा जाता है। यह गति देने और उसे नियंत्रित रखने के लिए है। अंतरिक्ष में हवा की अनुपस्थिति में ये इलेक्ट्रोड यान को नियंत्रित करने और स्टेशन से जोड़े रखने के लिए विद्युत चुम्बकीय थ्रस्ट के लिए भी उपयोग में लिए जा सकते हैं। इस तरह ये छोटे यान मौसम के अध्ययन के लिए भी इसे एक आदर्श उपग्रह हैं। यह प्लाज्मा से संचालित होती है। प्लाज्मा किसी विद्युतीय क्षेत्र में आवेशित कणों का एक समूह होता है जो सामान्यत: तारों और बिजली के बोल्ट में पाया जाता है। प्लाज्मा पदार्थ की चौथी अवस्था है, अन्य तीन ठोस, तरल और गैस हैं। साइंटिफिक अमरीकन मैगजीन के अनुसार तश्तरी जैसा यह यान इलेक्ट्रोड का उपयोग कर स्वंय को हवा में स्थिर रखेगा और आसपास की हवा को प्लाज्मा में आयनित करने के लिए इसकी सतह से उत्पन्न मैग्नेटो हाइड्रोडायनामिक थ्रस्ट का उपयोग करेगा। क्यांकि हवा में समान संख्या में धनात्मक और ऋणात्मक आवेश होते हैं। एक बैटरी या सौर पैनल का उपयोग कर इलेक्ट्रोड प्लाज्मा में एक विद्युत प्रवाह भेजेंगे, जिससे यह प्लाज्मा डिजायन के आसपास की हवा के खिलाफ जोर का थस्र्ट उत्पन्न कर सकता है। यह इसे ऊपर उठने के लिए पर्याप्त शक्ति प्रदान करता है। साथ ही अलग-अलग दिखाओं में उड़ने और मुड़ने में भी मदद करता है।
Published on:
24 Nov 2020 09:51 am
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