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जूझने वाले होते हैं असली चैम्पियन : एक्टर संग्राम सिंह

रेसलर, एक्टर और मोटिवेशनल स्पीकर संग्राम सिंह ने शेयर किए अपने अनुभव-

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Actor Sangram Singh share his experience with Patrika

जूझने वाले होते हैं असली चैम्पियन : एक्टर संग्राम सिंह

मैं रोहतक, हरियाणा के एक गरीब किसान परिवार से हूं। जब मेरी उम्र 3 साल थी तो ऑर्थराइटिस की समस्या हो गई। शरीर के जोड़ ठीक से काम नहीं करते थे। घर वालों ने डॉक्टरों को दिखाया पर फायदा नहीं हुआ। एक समय ऐसा भी आया कि अपने हाथ से कुछ कर भी नहीं पाता था। डॉक्टर ने कहा कि अब इस लड़के का बचना संभव नहीं है लेकिन मेरी मां डॉक्टरों के मना करने के बाद भी दिन में 10-15 बार तक मालिश करती थीं। धीरे-धीरे मैं स्वस्थ होने लगा। फिर रेसलिंग में मेरारुझान हुआ। इसके बाद मैं कभी नहीं रुका।

लगातार बढ़ते रहिए

मैं इतना कमजोर था कि शुरू में एक लडक़े ने अखाड़े में धक्का दे दिया था जिससे मेरी हड्डी टूट गई लेकिन हिम्मत नहीं हारी। लकड़ी के सहारे रोज अखाड़े जाने लगा। अखाड़े का मालिक मुझ पर हंसता था। तब मैंने फैसला किया कि अब तो रेसलर ही बनना है।

अच्छा-बुरा टाइम नहीं होता

मेरा मानना है कि कोई समय अच्छा या बुरा नहीं होता है। अगर आप सोचते हैं कि अच्छा टाइम आएगा तो ऐसा नहीं हो सकता है। मैं कोशिश करता हूं और अपने काम में लगा रहता हूं। सफलता के लिए भाग्य की नहीं, बल्कि मेहनत की जरूरत होती है।

सीखना बंद तो जीतना बंद

हमेशा कुछ नया सीखना चाहिए। सीखते रहने से आप आगे बढ़ते हैं। मेरे में कोई टैलेंट नहीं है। लेकिन मैं कभी हार नहीं मानता हूं। हिंदी में पढ़ाई के बाद विदेशी विश्वविद्यालयों में लेक्चर देता हूं।

बीमारी के कारण मुझे रेसलिंग में आने के लिए सामान्य से तीन गुना अधिक मेहनत करनी पड़ी। लेकिन मैं मेहनत से पीछे नहीं भागता हूं। रोजाना करीब 5-6 घंटे प्रैक्टिस करता हूं। मेरा मानना है कि जीतने वाले नहीं, बल्कि जूझने वाले असली चैम्पियन होते हैं।

(पत्रिका संवाददाता हेमंत पाण्डेय से बातचीत के आधार पर)