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कल शुभ मुहूर्त में पूजा कर भगवान को खिलाया जाएगा बांसा खाना, जानें आखिर क्यों और क्या है यह परम्परा

Sheetla Ashtami 2023 Basaura puja vidhi, muhurat and katha: इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और देवी शीतला से गर्मी के मौसम में होने वाली बीमारियों से बचाने के लिए प्रार्थना करते हैं। आपको बता दें कि इस पूजा-पाठ के लिए एक दिन पहले ही भोजन तैयार कर लिया जाता है। यानी शीतला सप्तमी या अष्टमी के दिन घर में चूल्हा जलाने की परम्परा नहीं है। पत्रिका.कॉम के इस लेख में जानें शीतला अष्टमी का महत्व, पूजा मुहूर्त भी...

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Sanjana Kumar

Mar 12, 2023

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Sheetla Ashtami 2023, Basaura puja vidhi, muhurat and katha: स्त्री शक्ति की अभिव्यक्तियों में से एक हैं शीतला माता। भारत देश में कई लोग चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि या अष्टमी तिथि के दिन शीतला माता की पूजा-अर्चना करते हैं। वहीं अमावस्यंत कैलेंडर का पालन करने वाले लोग फाल्गुन, कृष्ण पक्ष की सप्तमी या अष्टमी तिथि को बासौड़ा मनाते हैं। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और देवी शीतला से गर्मी के मौसम में होने वाली बीमारियों से बचाने के लिए प्रार्थना करते हैं। आपको बता दें कि इस पूजा-पाठ के लिए एक दिन पहले ही भोजन तैयार कर लिया जाता है। यानी शीतला सप्तमी या अष्टमी के दिन घर में चूल्हा जलाने की परम्परा नहीं है। पत्रिका.कॉम के इस लेख में जानें शीतला अष्टमी का महत्व, पूजा मुहूर्त भी...

शीतलाअष्टमी 2023
शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त सुबह 6 बजकर 31 मिनट से शाम 6 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। वहीं शीतला सप्तमी 14 मार्च 2023, अष्टमी तिथि शुरू 14 मार्च 2023 को अष्टमी तिथि समाप्त 15 मार्च 2023, शाम 6 बजकर 45 मिनट तक।

क्यों की जाती है बासौड़ा पूजा
माना जाता है कि शीतला माता चेचक, खसरा जैसी बीमारियों को ठीक करती हैं। इसीलिए परिवार अपने बच्चों को गर्मी के मौसम में होने वाली इन बीमारियों से बचाने के लिए शीतला माता की पूजा करते हैं।

शीतला अष्टमी पर जरूर करें ये काम
सुबह जल्दी उठकर इस मंत्र का जाप करते हुए स्नान करना चाहिए...

स्नान मंत्र गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु॥

स्नान करने के बाद शीतला देवी मंदिर के दर्शन करें।

बासौड़ा पूजा विधि
इस दिन शीतला माता देवी का चित्र स्थापित करें। उनकी पूजा घर पर कर सकते हैं या देवी दुर्गा का एक देवता चित्र स्थापित कर सकते हैं। दरअसल शीतला माता दुर्गा माता का ही अवतार माना गया है। अब अगरबत्ती, तेल का दीपक जलाएं और उसके चरण कमलों पर ध्यान केंद्रित करें। सबसे पहले आपको शीतला माता को रबड़ी और दही का भोग लगाना चाहिए। इसके बाद श्री शीतला माता चालीसा, श्री शीतला माता अष्टक, बासौड़ा व्रत कथा या शीतला मां की आरती का पाठ करन चाहिए। शीतला माता का भोजन जो पिछले दिन तैयार किया जाता है, उसे प्रसाद के रूप में वितरित कर सकते हैं। आप अपने घर, ऑफिस और वाहन की सुरक्षा के लिए इस दिन दुर्गा बीसा यंत्र का उपयोग कर सकते हैं।

बासौड़ा व्रत के नियम
जो लोग व्रत कर रहे हैं, उन्हें पवित्रता बनाए रखनी चाहिए। व्रत के दिन रसोई में आग नहीं जलानी चाहिए। अगले दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। साफ और नए कपड़े पहनें। पूजा के दिन ताजा बना खाना नहीं खाना चाहिए। जो भक्त सप्तमी का व्रत कर रहे हैं, उन्हें षष्ठी तिथि की शाम को देवी को चढ़ाए जाने वाले और अगले दिन सेवन करने के लिए खाद्य पदार्थ तैयार करने से पहले अपनी रसोई साफ करनी चाहिए। जो लोग अष्टमी का व्रत कर रहे हैं, उन्हें सप्तमी तिथि की शाम को सभी नियमों का पालन करना चाहिए।

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