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इलाहाबाद हाईकोर्ट में 1.80 लाख आपराधिक मामले लंबित, 160 पदों में से सिर्फ 93 न्यायाधीश कार्यरत, सुनवाई में भी विलम्ब

locationलखनऊPublished: Aug 24, 2021 03:57:02 pm

Submitted by:

Karishma Lalwani

1.80 lakh criminal cases pending in Allahabad High Court- यूपी सरकार (UP Government) ने लंबे समय से लंबित मामले और उनसे निपटने के लिए उठाए गए कदमों को की जानकारी कोर्ट को दी। आदेश में उच्च न्यायालय द्वारा उन दोषियों को जमानत देने के लिए “व्यापक मानदंड” निर्धारित करने में मदद करने के लिए कहा गया था जिनकी अपील लंबे समय से लंबित है।

1.80 lakh criminal cases pending in Allahabad High Court

1.80 lakh criminal cases pending in Allahabad High Court

लखनऊ. 1.80 lakh criminal cases pending in Allahabad High Court. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad Highcourt) में 1.80 लाख आपराधिक मामले लंबित पड़े हैं। कोर्ट ने 160 पदों को स्वीकृत किए हैं जिसमें से सिर्फ 93 न्यायाधीश कार्यरत हैं। दरअसल, यूपी सरकार (UP Government) ने लंबे समय से लंबित मामले और उनसे निपटने के लिए उठाए गए कदमों को की जानकारी कोर्ट को दी। आदेश में उच्च न्यायालय द्वारा उन दोषियों को जमानत देने के लिए “व्यापक मानदंड” निर्धारित करने में मदद करने के लिए कहा गया था जिनकी अपील लंबे समय से लंबित है। अगस्त 2021 तक लखनऊ पीठ और इलाहाबाद उच्च न्यायालय दोनों में करीब 1,83,000 आपराधिक अपीलें लंबित हैं। वहीं अगस्त 2021 तक ही यूपी की विभिन्न जेलों में 7214 अपराधी 10 साल से अधिक समय तक अपनी सजा काट चुके हैं। लेकिन उनकी आपराधिक अपील उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है। यह जानकारी उत्तर प्रदेश सरकार और इलाहाबाद उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री द्वारा न्यायमूर्ति एस के कौल की अध्यक्षता वाली एक पीठ के साथ पूर्व के आदेश का अनुपालन करते हुए साझा की गयी।
31,044 आपराधिक मामलों का हो चुका निपटारा

न्यायालय से कहा गया है कि लंबित मामलों से निपटने के कदमों को सूचीबद्ध करते हुए उन्होंने कहा कि 2000 से अब तक 31,044 आपराधिक अपीलों का निपटारा किया जा चुका है। कोर्ट के सामने 102 पेज का दस्तावेज प्रस्तुत किया गया जिसमें चार समितियों के बारे में बताया गया। यह भी जानकारी दी गई कि 14 जुलाई, 2014 से प्रभावी रोस्टर के अनुसार, उन आपराधिक अपीलों की सुनवाई को प्राथमिकता दी जाती है, जहां आरोपी ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 436ए के मद्देनजर आधे से अधिक सजा काट ली है और आरोपी जेल में है। इसके अलावा हत्या, बलात्कार, डकैती और अपहरण से संबंधित मामलों की सुनवाई को भी प्राथमिकता दी जाती है।
एक साल में 139 कर्मचारी घूस लेते हुए गिरफ्तार

प्रदेश में एक साल में 139 कर्मचारी घूस लेते गिरफ्तार किए गए हैं। राज्य सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस के भ्रष्टाचार निरोधक संगठन (एसीओ) ने इस साल जनवरी से अब तक 139 अराजपत्रित अधिकारियों को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया है। पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल ने कहा कि एसीओ द्वारा की गई कार्रवाई से भ्रष्ट अधिकारियों को सिस्टम से बाहर करने के अलावा संदेश दिया जा रहा है कि भ्रष्टाचार को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, हम किसी भी स्तर पर व्यवस्था में भ्रष्टाचार नहीं होने देंगे।
रंगे हाथ पकड़े गए कई अधिकारी

डीजीपी ने गिरफ्तारी के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति को वजह बताया। गोयल ने कहा कि पिछले साल भी एसीओ ने भ्रष्ट आचरण के लिए 175 सरकारी अधिकारियों को गिरफ्तार किया था।रिकॉर्ड के अनुसार, भ्रष्टाचार निरोधक इकाई के अधिकारियों ने जनवरी से अब तक 20 जाल बिछाए और अधिकारियों को रंगे हाथ पकड़ा। गिरफ्तार लोगों में शिक्षा, जिला प्रशासन, नगर निगम आदि सहित अन्य सरकारी विभागों के दो पुलिस कर्मी और 18 कर्मचारी शामिल थे।
‘एंटी ब्राइब्री हेल्पलाइन’ का गठन

पुलिस अधीक्षक, एसीओ, राजीव मेहरोत्रा ने कहा, “भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत 105 अधिकारियों और अन्य विविध आरोपों के तहत 13 अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया, जबकि 20 को रंगे हाथों पकड़ा गया।” उन्होंने बताया कि मंगलवार को भी सुल्तानपुर जिले के कोतवाली क्षेत्र में आपराधिक धमकी का मामला दर्ज कराने वाले एक शिकायतकर्ता से 10,000 रुपये की रिश्वत की मांग करते हुए एक सब-इंस्पेक्टर दिनेश यादव को रंगे हाथ पकड़ा। भ्रष्टाचार नीति के खात्मे के लिए ‘एंटी ब्राइब्री हेल्पलाइन’ का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि इस हेल्पलाइन नंबर पर भ्रष्टाचार से जुड़ी जानकारी दी जा सकती है।
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