31 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Photos: श्रीराम के जीवन की वो 10 घटनाएं, जिनसे आज भी सीखते हैं लोग

Ram Navami 2023: इन 10 तस्वीरों में राम के जीवन के महत्वपूर्ण पलों को एक साथ देखा जा सकता है। आप भी देखें यह मनोरम दृश्य

3 min read
Google source verification

लखनऊ

image

Aniket Gupta

Mar 30, 2023

1_4.jpg

अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियाँ थीं जिनके नाम थे - कौशल्या, कैकई और सुमित्रा। लंबे समय से उनकी कोई संतान नहीं थी जिसके कारण अयोध्या नरेश को उनके उत्तराधिकारी की कमी खलती थी। फिर राजा दशरथ ने ऋषि वशिष्ठ से सलाह ली और पुत्र कामेष्टि यज्ञ करवाया। यज्ञ के फलस्वरूप उनकी पत्नियों को चार पुत्ररत्नों की प्राप्ति हुई।

2_3.jpg

पहली पत्नी कौशल्या से राम, कैकई से भरत और सुमित्रा से लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ। चारों भाई देखने में बेहद आकर्षक थें और चारों के चेहरे पर एक अलग सी चमक थी।

3_2.jpg

धर्म के मार्ग पर चलने वाले मर्यादपुरुषोत्तम श्री राम अपने तीनों भाइयों के साथ शिक्षा प्राप्त करने के लिए गुरु वशिष्ठ के आश्रम गए और वहां अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा ली।

4_4.jpg

शिक्षा ग्रहण करने के दौरान ही गुरु विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को जनकपुर ले गए। वहां राम और गुरु विश्वामित्र मिथिला नरेश के जनकवाटिका में रुके। सुबह पूजा के लिए फूल लेने राम वाटिका गए तब पहली बार जनकनंदिनी माता सीता से उनकी मुलाकात हुई।

5_2.jpg

राजा जनक ने वहां अपनी पुत्री सीता के विवाह के लिए स्वयंवर का आयोजन रखा था। राजा जनक की एक शर्त थी कि जो शूरवीर भगवान शंकर के इस धनुष की प्रत्यंचा चढ़ा देगा उसी प्रतापी से पुत्री सीता का विवाह कर दिया जाएगा। बहुत सारे प्रतापी राजा और राजकुमारों ने प्रत्यंचा चढ़ाने की कोशिश की और असफल रहे। तब गुरु विश्वामित्र से आज्ञा पाकर श्रीराम ने धनुष उठा कर प्रत्यंचा चढ़ा दिया और फिर इस तरह राम और सीता का विवाह सम्पन्न हुआ।

6_1.jpg

राजा दशरथ की पत्नी कैकई ने क्षलपूर्वक राजा से दो वर ले लिया जिसमें राम को 14 वर्ष का वनवास और उनके पुत्र भरत को अयोध्या की राजगद्दी थी। राम अपनी मां का सम्मान करते हुए और अपने पिता के वचन का लाज रखते हुए वनवास जाने के लिए राजी हो गए। राम की धर्मपत्नी ने अपनी पतिव्रता धर्म निभाते हुए राम के साथ वन जाने को तैयार हो गई।

7_1.jpg

वनवास के दौरान लंका का राजा रावण ने माता सीता का हरण कर लिया। और फिर उन्हें पुष्पक विमान पर बैठा कर लंका ले गया।

8.jpg

भगवान राम अपने भाई लक्ष्मण के साथ सीता की खोज में दर दर भटक रहे थे। उसी दौरान उनकी मुलाकात हनुमान से हुई थी।

9.jpg

सीता को वापस पाने के लिए राम ने हनुमान, विभीषण और वानर सेनाओं की सहायता से लंका पर चढ़ाई की और वहां के राजा रावण को पराजित किया।