
प्रतीकात्मक फोटो
समग्र शिक्षा उत्तराखंड के राज्य परियोजना निदेशक बंशीधर तिवारी ने बीते 17 फरवरी को आरटीई को लेकर बैठक ली थी। बैठक के दौरान आरटीई में दाखिल बच्चों के बैंक खातों में प्रतिपूर्ति की धनराशि भेजने में परेशानी सामने आने का मुद्दा उठा था।अफसरों ने बताया था कि एकाउंट एक्टिव नहीं होने की वजह से बच्चों को पैसा नहीं मिल पा रहा है। इसमें निजी स्कूलों की लापरवाही भी साफ उजागर हुई थी। इसी को देखते हुए परियोजना निदेशक ने सभी जिलों के शिक्षा अधिकारियों को शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत हुए दाखिलों की जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। जल्द ही सभी जिलों में आरटीई के एडमिशन की जांच पूरी कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
स्कूल होंगे जिम्मेदार
परियोजना निदेशक ने शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि अपने-अपने जिलों में आरटीई के तहत प्रवेश लिए सभी बच्चों का भौतिक सत्यापन कराएं। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि यदि बच्चों के खातों में धनराशि नहीं पहुंचती हैं तो इसके लिए निजी स्कूल संचालक ही जिम्मेदार माने जाएंगे।
पहले बच्चों को मिलेगी रकम
राज्य में आरटीई के तहत प्रवेश पाने वाले बच्चों को प्रतिपूर्ति के रूप में धनराशि दी जाती है। धनराशि बच्चों के खातों में सीधे ट्रांसफर की जाती है। इसके अलावा निजी स्कूलों को भी बच्चों की फीस और मेंटीनेंस खर्च के तौर पर धनराशि दी जी है। अब विभाग पहले बच्चों और फिर स्कूलों को धनराशि जारी करने की योजना बना रहा है। यानी बच्चों के खाते क्लीयर करने के बाद ही संबंधित स्कूलों को धनराशि दी जाएगी।
Published on:
21 Feb 2024 01:23 pm
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