8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बरकरार रहेगा नरेश अग्रवाल का जादू या फिर हरदोई में नया गुल खिलेगा ?

1991 की राम लहर हो या 2014 की नरेंद्र मोदी लहर या फिर 2017 के विधानसभा चुनाव, हर लहर में नरेश अग्रवाल को शहर ने कभी निराश नहीं किया

2 min read
Google source verification

लखनऊ

image

Hariom Dwivedi

Mar 16, 2018

Naresh Agarwal

नवनीत द्विवेदी
हरदोई. उपचुनाव के नतीज़ों के बाद हरदोई में भी खलबली मच गई है। दरअसल भगवा रंग में रंग गए सांसद नरेश अग्रवाल के पुत्र नितिन अग्रवाल सदर सीट से सपा से विधायक हैं। ऐसा माना जा रहा था कि नितिन इस्तीफा देकर उपचुनाव भाजपा से लड़ेंगे। अब गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में नतीजों के बाद से यह सवाल उठ रहा है कि हरदोई ने 40 वर्षों से हर हाल में नरेश अग्रवाल को जीत का लगातार ताज पहनाया है, क्या अब भगवा रंग में भी यह करिश्मा जारी रहेगा?

1991 की राम लहर हो या 2014 की मोदी लहर या फिर 2017 की मोदी-योगी लहर, हर लहर को नकार नरेश के शहर ने कभी उन्हें निराश नहीं किया। शायद यही कारण रहा कि हरदोई जिला भगवामय होता रहा है, मगर नरेश और उनके बेटे नितिन के परिवारिक राजनीतिक कार्य क्षेत्र हरदोई सदर सीट पर मोदी, योगी के आगमन और चुनावी अपील भी हरदोई की जनता को अपनी ओर मोड़ न सके। मोदी और योगी ने भी शायद इस बात पर गौर किया होगा कि कुछ तो बात है नरेश तुममे, चुनाव यूं ही नहीं जीता करते हो।

करीब 40 वर्षों से खुद की सीट से अपराजित राजनीति करने वाले नरेश ने जनता से अपने मजबूत रिश्तों के चलते इस सीट से 3 बार अपने बेटे नितिन को भी विधायक बनाया। दल-बदल और सत्ता का साथ का निर्णय करने वाले नरेश का लोगों ने हमेशा साथ दिया। हरदोई सदर सीट से हर चुनाव में नरेश को जीत हासिल हुई। समाज के हर वर्ग के बीच नरेश सर्वमान्य नेता रहे, जिसके चलते हर चुनाव में जीत का सेहरा बंधता रहा। नरेश की हर जीत में 40 वर्षों के उनके निजी राजनीतिक रिश्ते और परिवार की आजादी के बाद से राजनीति में सरोकारों की पृष्ठभूमि का योगदान रहा।

नरेश के विरोधियों की भी बढ़ीं मुश्किलें
नरेश की इन 40 वर्षों की राजनीति में एक नया वर्ग भी बना, वह है नरेश विरोधी तबका। नरेश विरोधी तबका जो भाजपा में नरेश के खिलाफ ताल ठोक रहे थे, उनमें तो नरेश के भाजपा में आने से भूचाल आना स्वाभाविक है ही, साथ ही नरेश के साथ रहने वाले लोग भी इस बात को लेकर सकते में हैं कि क्या BJP में रहकर भी नरेश अपने उन पुराने रिश्तों की डोर सहेज कर रख पाएंगे, जिनकी बदौलत नरेश ने हरदोई से लेकर देश की राजनीति में अपना नया मानचित्र बनाया।

क्या इस बार भी अपना जादू बरकरार रख पाएंगे नरेश?
फिलहाल तो विवादित बयानों के लिए जाने जाने वाले नरेश अग्रवाल अभी भाजपा में आने के तुरंत बाद के बयान को लेकर आलोचनाओं से घिरकर चौतरफा हमले झेल रहे हैं, लेकिन असल हमला और उनकी असल परीक्षा तो उनके उसी गृह नगर में होगी जिसकी बदौलत नरेश राजनीति अपराजित हैं। यह देखने वाली बात होगी क्या नरेश भाजपा में भी अपना वही जादू बरकरार रख पाएंगे, जो अब तक दलबदल करने के बाद भी रखते रहे हैं। क्या हरदोई में अब भी उनकी वही राजनीतिक स्वीकार्यता रहेगी या फिर हरदोई भी नया गुल खिलाएगी।