
शुक्रवार की रात झांसी मेडिकल कॉलेज के नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में शॉर्ट सर्किट से आग लग गई जिसमें 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई। डीएम अविनाश कुमार ने बताया कि घटना के दौरान वार्ड में जीवन रक्षक उपकरणों पर निर्भर 16 बच्चों का इलाज चल रहा था।
झांसी मेडिकल कॉलेज में आग लगने से हुई दर्दनाक घटना के बाद प्रशासन ने स्वास्थ्य सेवाओं की खामियों पर सख्त कदम उठाए हैं। फायर डिपार्टमेंट ने लखनऊ में 80 अस्पतालों को नोटिस जारी किया है। इन अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा के मानकों की भारी अनदेखी पाई गई। आपको बता दें कि राजधानी के 906 अस्पतालों में से केवल 301 अस्पतालों को ही फायर डिपार्टमेंट द्वारा अग्नि सुरक्षा प्रमाणपत्र दिया गया है। बाकी अस्पतालों में सुरक्षा मानकों की जांच जारी है।
नोएडा के चाइल्ड पीजीआई में अग्नि सुरक्षा की जांच के दौरान कई खामियां मिलीं। चीफ फायर ऑफिसर प्रदीप कुमार ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन को जल्द ही इन खामियों को दूर करने का निर्देश दिया गया है। इस घटना ने राज्यभर में अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर चिंताएं खड़ी कर दी हैं।
शुक्रवार रात झांसी मेडिकल कॉलेज के नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में शॉर्ट सर्किट से आग लग गई, जिसमें 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई। डीएम अविनाश कुमार ने बताया कि घटना के दौरान वार्ड में जीवन रक्षक उपकरणों पर निर्भर 16 बच्चों का इलाज चल रहा था। आग के कारण ऑक्सीजन सपोर्ट के उपकरणों में गड़बड़ी हुई और आग ने तेजी से विकराल रूप धारण कर लिया। इस दौरान एग्जिट गेट का ताला बंद था, जिससे बच्चों को बचाने में समय लगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना की गंभीरता को देखते हुए चार सदस्यीय जांच समिति गठित की है। समिति सात दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। प्रमुख सचिव स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन और चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशक ने घटनास्थल का दौरा किया। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है।
Published on:
16 Nov 2024 08:12 pm
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