
राज्यपाल पद से इस्तीफा देकर बेबीरानी बनीं विधायक अब मंत्री बनने की चर्चाएं
कोई मुख्यमंत्री चुना गया हो और राज्यपाल बन जाए, ऐसे दृष्टांत तो भारतीय राजनीति में देखने को मिल जाते हैं। लेकिन, कोई राज्यपाल रहा हो और फिर विधायक बन जाए। और उसके मंत्री बनने की चर्चाएं होने लगें, ऐसा विरला मामला यूपी की राजनीति में देखने को मिल रहा है। आगरा ग्रामीण से नवनिर्वाचित विधायक बेबीरानी मौर्य उत्तराखंड का राज्यपाल रह चुकी हैं। दो महीने पहले इन्होंने राज्यपाल पद से इस्तीफा दिया। भाजपा से चुनाव लड़ा। जीत गयीं और अब 18वीं विधानसभा में इन्हें डिप्टी सीएम बनाए जाने की चर्चा चल रही है।
अर्जुन सिंह चुने गए मुख्यमंत्री बन गए राज्यपाल
बात 1985 की है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 251 सीटें जीती थी। तब अर्जुन सिंह का मुख्यमंत्री बनना तय था। उन्हें नए विधायक दल का नेता भी चुन लिया गया। अपनी कैबिनेट को अंतिम रूप देने के लिए वह दिल्ली में तत्कालीन पीएम राजीव गांधी से मिलने पहुंचे। तब राजीव ने उन्हें पंजाब का राज्यपाल बनने का आग्रह कर डाला। यह सुनकर अर्जुन सिंह अवाक रह गए थे। और बुझे मन से मोतीलाल वोरा के नाम को आगे बढ़ा दिया था।
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बेबीरानी मौर्य मेयर से राज्यपाल तक का सफर
उत्तराखंड की राज्यपाल रह चुकीं बेबी रानी मौर्य आगरा की मेयर भी रह चुकी हैं। केंद्र के निर्देश पर उत्तराखंड के राज्यपाल पद से इन्हें सितंबर 2021 में राज्यपाल पद से इस्तीफा देना पड़ा था। यह तीन साल तक इस पद पर रहीं। इसके बाद भाजपा ने इन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया। इसके पहले बेबी रानी मौर्य राज्य बाल आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य भी रह चुकी हैं। उन्होंने वर्ष 2007 में एत्मादपुर सीट से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था। तब चुनाव हार गयी थीं। बेबी रानी मौर्य के पति प्रदीप कुमार पंजाब नेशनल बैंक में डायरेक्टर एवं सीनियर मैनेजर पद से सेवानिवृत्त हैं। एमए बीएड बेबी रानी मौर्य 1995 में भाजपा में शामिल हुई थीं। वो 1995 में ही भाजपा के टिकट पर आगरा की मेयर बनी थीं।
Updated on:
12 Mar 2022 12:07 pm
Published on:
12 Mar 2022 12:01 pm
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