9 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

लोकसभा चुनाव 2019 : यूपी में महागठबंधन को तैयार सपा-बसपा, सरकार में सहयोगी ही बढ़ा रहे भाजपा की मुश्किलें

गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में हार के बाद बीजेपी पर बढ़ा दबाव, सहयोगी दल भी कर रहे एक दर्जन सीटों की मांग...

2 min read
Google source verification

लखनऊ

image

Hariom Dwivedi

Apr 02, 2018

strategy for lok sabha chunav 2019

लखनऊ. गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में जीत के बाद सपा-बसपा के बीच बढ़ती नजदीकियां भाजपा के लिये चुनौती साबित हो रही हैं। हालांकि, दिग्गज भाजपा नेताओं का मानना है कि सपा-बसपा गठबंधन से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। 2019 भारतीय जनता पार्टी भारी बहुमत से जीत हासिल करेगी। एक ओर लोकसभा चुनाव में जहां भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिये सपा-बसपा के बीच गठबंधन की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो गई हैं, वहीं दूसरी ओर केंद्र-राज्य में सहयोगी दल (अपना दल-एस और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी- सुभासपा) लोकसभा चुनाव में एक दर्जन से अधिक सीटों की मांग कर रहे हैं।

अनुप्रिया पटेल का अपना दल (एस) और ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) चाह रही है कि लोकसभा चुनाव में उन्हें पर्याप्त भागीदारी मिले, ताकि पटेल-राजभर के साथ पिछड़े वर्ग के वोट एकमुश्त मिल सकें। सहयोगी दलों ने ऐसी 12 सीटें चिन्हित कर ली हैं, जहां वे अपना प्रत्याशी उतारना चाहती हैं, बावूजद इसके अगर बात नहीं तो इनमें से आधी सीटों पर दोस्ताना भी मुकाबला हो सकता है।

यह भी पढ़ें : आरक्षण की मांग को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ बीजेपी सांसद का लखनऊ में जोरदार प्रदर्शन

भाजपा के सामने चुनौतियां ही चुनौतियां
सूत्रों की मानें तो सपा-बसपा दोनों दल साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। अभी कांग्रेस की स्थिति साफ नहीं है, लेकिन अगर कांग्रेस भी सपा-बसपा के साथ आ गई तो भाजपा के खिलाफ यादव-दलित और अल्पसंख्यकों का मजबूत गठजोड़ बन सकता है। मौजूदा राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए भाजपा सहयोगी दलों की अनदेखी करने की हालत में नहीं है। गौरतलब है कि 2017 के विधानसभा में अनुप्रिया पटेल के अपना दल (एस) ने पूर्वांचल की 11 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें उसे नौ सीटों पर जीत हासिल हुई थी, जबकि ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा आठ में चार सीटों पर जीत दर्ज करने कामयाबी हासिल की थी।

सपा-बसपा गठबंधन का फॉर्मूला देंगी मायावती
14 अप्रैल को डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती है। इसी दिन मायावती पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगी और माना जा रहा है कि 14 को ही वह पार्टी नेताओं के काडर के बीच कोई बड़ा बयान दे सकती हैं। पार्टी सूत्रों की मानें तो अप्रैल के बाद यानी मई माह में बसपा सुप्रीमो पार्टी की अहम बैठक करेंगी। इस बैठक में वो सपा-बसपा गठबंधन का फॉर्मूला भी जारी कर सकती हैं।

यह भी पढ़ें : यूपी में आरक्षण के मुद्दे पर मचा सियासी घमासान, बीजेपी के बाद अब सपा ने कर दी ये बड़ी मांग

गठबंधन धर्म निभाने के तैयार हैं अखिलेश यादव
अखिलेश यादव पहले भी ऐलान कर चुके हैं कि वह भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिये किसी भी दल से गठबंधन कर सकते हैं। लोकसभा उपचुनाव बसपा के समर्थन के बाद अखिलेश यादव खुले मंच से कह चुके हैं कि वह कोई भी 'त्याग' करने और गठबंधन धर्म निभाने को तैयार हैं।

यह भी पढ़ें : बीजेपी के इस बड़े नेता ने ओमप्रकाश राजभर को बताया कैंसर, कहा- गठबंधन से पहले ओढ़ना-बिछौना तक नहीं था