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लखनऊ. मायावती (mayawati) की बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) 2022 चुनाव से पहले ब्राह्मण समुदाय को अपने पक्ष में लाने की बडी़ योजना बना रही है। बीते वर्ष बिकरू कांड (Bikru Case) में विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद यह समुदाय भाजपा से रूठा है। बसपा की रणनीति है कि मौके का फायदा उठाया जाए और पार्टी, एनकाउंटर मामले में ही एक आरोपी के जरिए ऐसा करने जा रही है। बसपा, विकास दुबे (vikas dubey) की बहू और अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे (khushi dubey) के पक्ष में केस लड़ेगी और उसे रिहा कराने का प्रयास करेगी। बसपा नेता और पूर्व मंत्री नकुल दुबे ने इसका ऐलान किया।
अयोध्या में होने वाले ब्राह्मण सम्मेलन से पहले बसपा नेता व पूर्व मंत्री नकुल दुबे ने बताया कि बसपा अब बिकरू कांड में आरोपी बनाई गई खुशी दुबे की रिहाई की लड़ाई लड़ेगी। उन्होंने आगे कहा कि खुशी दुबे का केस बसपा के महासचिव सतीश मिश्र लड़ेंगे।
शेल्टर होम में है खुशी-
बिकरू कांड के बाद पुलिस मुठभेड़ में विकास दुबे और अमर दुबे दोनों ही मारे गए थे। इसमें 17 वर्षीय खुशी दुबे को भी साजिशकर्ता बताया गया था। हालांकि वह नाबालिग है, इसका खुलासा बाद में हुआ, जिसके बाद उसे बाराबंकी के एक शेल्टर होम में रखा गया। एक वर्ष से वह वहीं हैं। खुशी पर हत्या और आपराधिक साजिश रचने सहित आईपीसी की कई धाराएं लगाई गई हैं।
कोर्ट ने की जमानत याचिका की खारिज-
बीते शनिवार को खुशी दुबे की जमानत याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी खारिज कर दिया था। खुशी दुबे ने निर्दोष होने व स्वास्थ्य खराब होने का हवाला देते हुए याचिका दायर की थी, जिसे जस्टिस जेजे मुनीर की सिंगल बेंच ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि आठ पुलिसकर्मियों की हत्या साधारण नहीं बल्कि जघन्य अपराध है। यह घटना समाज की अंतरात्मा को झकझोर कर देने वाली है। खुशी को जमानत देना, कानून में विश्वास रखने वालों को हिलाकर रख देने वाला जैसा कदम होगा।
Published on:
21 Jul 2021 09:51 pm
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