
उत्तर प्रदेश की सियासत में बसपा के सियासी वजूद को बचाए रखने के लिए मायावती दलित-मुस्लिम फॉर्मूले पर काम कर रही है। इसी सियासी फार्मूले के साथ बसपा 2024 के लोकसभा चुनाव लड़ना चाहती है। इसके अलावा बसपा ने सूबे में निकाय चुनाव का मास्टर प्लान भी तैयार किया था।
इसके तहत दो महीने पहले ही अतीक की पत्नी बसपा में शामिल हुई थीं। प्रयागराज नगर निगम में मेयर पद पर बसपा उन्हें चुनाव लड़ाना चाहती थी। सूत्र बताते हैं कि प्रदेश में बसपा ने कम से कम सात मेयर सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारने की रणनीति बनाई गई थी, लेकिन इसपर अब पानी फिरता नजर आ रहा है।
तो क्या अतीक की पत्नी का टिकट कटेगा?
बसपा ने माफिया अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन को प्रयागराज के नगर निगम सीट से मेयर पद का चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रखी थी, लेकिन अब उमेशपाल हत्याकांड में शाइस्ता आरोपी हैं, और फरार हैं। पुलिस शाइस्ता की तलाश कर रही है। साथ ही उमेश पाल अपहरण कांड में बाहुबली अतीक अहमद को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। ऐसे में बसपा शाइस्ता परवीन की जगह किसी और को चुनाव लड़ा सकती है।
दो महीने पहले ही बसपा में शामिल हुई थीं शाइस्ता
उमेश पाल हत्याकांड से करीब दो महीने पहले अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन बसपा में शामिल हुई थीं। माफिया अतीक की पत्नी के सहारे बसपा प्रयागराज इलाके में अपनी खोई साख को पाने के साथ-साथ दलित-मुस्लिम फॉर्मूले को अमलीजामा पहनाने की कोशिश में जुटी थी, लेकिन मायावती की इस पूरी रणनीति में उमेश पाल हत्याकांड ने पलीता लगा दिया है, क्योंकि इस मामले का आरोप अतीक के परिवार पर लगा है(
उमेश पाल की हत्या के बाद मायावती ने दिया था यह बयान
उमेशपाल हत्याकांड के बाद मायावती ने अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन को पार्टी से बाहर न निकालने की बात कही थी। यह कहकर मायावती खुद शाइस्ता के साथ खड़ी नजर आ रही थीं। शाइस्ता पर एक्शन न लेकर मायावती मुस्लिमों को सियासी संदेश देना चाहती थीं कि महज आरोप-प्रत्यारोप से वह शाइस्ता को पार्टी से बाहर नहीं करेंगी। हालांकि, उन्होंने यह बात जरूर कही है कि शाइस्ता को जांच में दोषी साबित होने के बाद ही पार्टी से निष्कासित किया जाएगा।
शाइस्ता फरार कैसे लड़ेंगी चुनाव
उमेश पाल हत्याकांड में शाइस्ता परवीन को पुलिस ने फरार घोषित कर रखा है। शाइस्ता के परिवार के ज्यादातर लोग जेल में हैं या फिर फारार हैं। ऐसे में बसपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि कैसे शाइस्ता परवीन मेयर का चुनाव लड़ेंगी। इतना ही नहीं, शाइस्ता को चुनाव कौन लड़ाएगा और उनके लिए प्रचार-प्रसार कौन करेगा। नगर निगम चुनाव के सियासी सरगर्मी बढ़ गई है और शाइस्ता परवीन फरारी काट रही हैं।
2017 में बसपा के दो मेयर जीते थे
बसपा दलित-मुस्लिम फॉर्मूले से ही 2017 के नगर निगम चुनाव में अपने दो मेयर बनाने में सफल रही थी। जबकि सपा खाता भी अपना नहीं खोल सकी थी। सूबे की 16 नगर निगम में से 14 में बीजेपी और दो में बसपा के मेयर बने थे। अलीगढ़ में मेयर का चुनाव बसपा के टिकट पर फुरकान अहमद जीते थे तो मेरठ में योगेश वर्मा की पत्नी सुनीता वर्मा जीती थीं।
सुनीता वर्मा की जीत में बसपा नेता याकूब कुरैशी की अहम भूमिका रही थी। बसपा सहारनपुर और झांसी के मेयर पद का चुनाव में बहुत मामूली वोट से हार गई थी। सहारनपुर में मेयर का चुनाव बसपा प्रत्याशी हाजी फजलुर्रहमान महज 2 हजार वोटों से हारे थे।
Updated on:
30 Mar 2023 09:34 pm
Published on:
30 Mar 2023 09:33 pm
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