
CM Yogi in Lucknow University: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शिक्षण संस्थान युवाओं को शिक्षित तो बना दे रहे हैं, लेकिन जब वो छात्र संस्थान से बाहर आता है, तो उसके पास ज्ञान नहीं होता कि अब क्या करना है। यह कार्यक्रम उस भटकाव से दूर करने का माध्यम है। उसके चरित्र विकास के लिए मंथन करें। केवल शिक्षित ही नहीं, बल्कि उसे ज्ञानवान भी बनाना है।
मुख्यमंत्री ने यह बात 15 फरवरी को विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान द्वारा लखनऊ विश्वविद्यालय में आयोजित अखिल भारतीय संस्थागत नेतृत्व समागम- 2024 के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि भारत के गौरव को पुनर्स्थापित करने के लिए शिक्षण संस्थानों के पास फिर से अवसर है। सीएम ने अलग-अलग राज्यों से आए विजिटर्स से अनुरोध किया कि लखनऊ, नैमिषारण्य और अयोध्या का भ्रमण करें और इन जगहों पर क्या नया हो सकता, यह सुझाव भी हमें उपलब्ध कराइए।
उन्होंने कहा कि हर छात्र व्यावहारिक ज्ञान से परिपूर्ण हो। जब वह शिक्षण संस्थान से निकले तो भारत के ऐसे नागरिक के रूप में खुद को जाने जो आत्मविश्वास से भरपूर हो। जीवन के जिस भी क्षेत्र में जो जिम्मेदारी दी जाए, वह आत्मविश्वास के साथ उसे चुनौती के रूप में स्वीकार कर लक्ष्य तक पहुंचाने में अपना योगदान दे सके। यह कार्य उच्च शिक्षण संस्थान से जुड़े आईआईटी, एनआईटी, आईआईएम, केंद्र-राज्य विश्वविद्यालय आदि कर सकते हैं।
यह भी पढ़ें:स्वामी प्रसाद मौर्य का इस्तीफा ना करें स्वीकार, सपा नेता राम गोविंद ने लिखा अखिलेश यादव को पत्र
'2047 में भारत को विकसित बनने से कोई नहीं रोक सकता'
सीएम योगी ने कहा, "पीएम मोदी जी ने देशवासियों का आह्वान किया कि जब देश आजादी का शताब्दी महोत्सव मना रहा होगा तो हमें कैसा भारत चाहिए। उस भारत के लिए हमारे स्तर पर क्या योगदान हो रहा है। विकसित भारत की परिकल्पना साकार करने के लिए हर भारतवासी के स्तर पर क्या भूमिका होनी चाहिए। यह केवल देश के नेतृत्व का ही नहीं, बल्कि राज्यों, जनपदों, गांवों, व्यक्ति व शिक्षण संस्थानों का भी कार्य है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में जो व्यक्ति जहां भी सेवा प्रदान कर रहा है। यदि अपने दायित्वों को सही ढंग से समझ सके तो पीएम के विजन के अनुरूप 2047 में दुनिया की कोई ताकत भारत को विकसित देश के रूप में स्थापित करने में रोक नहीं सकती।"
उन्होंने कहा कि लखनऊ में यह आयोजन भारत की उस प्राचीन परंपरा का स्मरण कराता है, जिसे सदियों पूर्व यहां से 70 किमी. दूर नैमिषारण्य में 88 हजार ऋषियों ने मंथन के माध्यम से भारत की वैदिक परंपरा को लिपिबद्ध किया था। वहीं से स्वर फूटे थे कि आ नो भद्रा क्रतवो यन्तु विश्वतः... यानी ज्ञान प्राप्त करने के लिए सभी दिशाओं को खुला रखना चाहिए। एक बार फिर से इसकी शुरुआत देश के हृदय स्थल उत्तर प्रदेश में इस कार्यक्रम से होने जा रही है। इसे हम विभिन्न ग्रंथों के माध्यम से देख रहे हैं। जब संसाधन नहीं थे तो 88 हजार ऋषियों ने कई वर्ष रहकर मंथन से जो अमृत निकाला, वह भारत का अमर ज्ञान है। हमारे पास वैदिक ज्ञान का जो भरपूर भंडार है, जो मानवता को आज भी नई राह दिखा सकता है। वह हमारे पास धरोहर के रूप में है। उस धरोहर को किस रूप में बढ़ा सकते हैं, इस पर हमें तैयार होना होगा।
Updated on:
16 Feb 2024 07:54 am
Published on:
16 Feb 2024 07:53 am
बड़ी खबरें
View Allलखनऊ
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
