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….तो इसलिए हटाए गए यूपी के डीजीपी मुकुल गोयल

मुकुल गोयल सपा सरकार के कार्यकाल में उस दौरान एडीजी एलओ बनाए गए थे जब पश्चिम यूपी मुजफ्फरनगर दंगे की आग में झुलस रहा था। करीब डेढ़ साल तक वह एडीजी एलओ के पद पर रहे। हालांकि बाद में सपा सरकार ने उन्हें हटाकर दलजीत चौधरी को एडीजी एलओ बना दिया था।  

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लखनऊ

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Amit Tiwari

May 12, 2022

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यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के काम करने के तरीके बिल्कुल अलग हैं। सीएम योगी की आदत है रात-दिन जागकर काम करने की और हर छोटी से छोटी घटना की खबर और उस पर हुई कार्रवाई पर नजर रखना। ये कुछ ऐसी बातें थी जिनसे डीजीपी मुकुल गोयल कदम से कदम मिलाकर नहीं चल पाए। बताया जाता है कि इसी के चलते उन्हें हटाया गया। बता दें कि सीएम योगी की पसंद हमेशा वह अफसर रहे जो मिशन मोड पर काम करते हों। लेकिन केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से करीब पांच साल बाद यूपी लौटे मुकुल गोयल सीएम योगी आदित्यनाथ की चाल से कदमताल नहीं कर पाए। दूसरे उनके सपा सरकार के करीबी होने, उनकी तैनाती के बाद अखिलेश यादव द्वारा उनके पक्ष में किए गए ट्वीट ने भी उन्हें योगी सरकार के बीच असहज कर दिया।

हजरतगंज कोतवाली का निरीक्षण रहा चर्चा में

कार्यभार संभालने के बाद जब डीजीपी मुकुल गोयल लखनऊ के सबसे प्रमुख कोतवाली हजरतगंज का निरीक्षण किया, तो उस दिन उनका दौरा खूब चर्चा में रहा। कोतवाली के निरीक्षण के बाद उन्होंने इंस्पेक्टर हजरतगंज को लापरवाह पाते हुए हटाए जाने की घोषणा कर दी। डीजीपी मुख्यालय ने इस संबंध में प्रेसनोट भी जारी कर दिया।

एक इंस्पेक्टर को नहीं हटा सके डीजीपी

लेकिन डीजीपी के बयान और मुख्यालय के प्रेस नोट के बाद भी जब इंस्पेक्टर हजरतगंज को नहीं हटाया। फिर सीएम योगी ने कानून व्यवस्था से जुड़ी एक बैठक के दौरान जब यह बयान दे दिया कि डीजीपी मुख्यालय या सीएम कार्यालय के कहने पर कोई इंस्पेक्टर की तैनाती नहीं होगी। तब पूरे पुलिस में संदेश चला गया कि सीएम डीजीपी से खुश नहीं हैं।

योगी का शपथ ग्रह समारोह भी बना कारण

दूसरा मामला योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल के शपथ ग्रहण समारोह के बाद हुआ। समारोह के दौरान अव्यवस्था के चलते केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह समेत तमाम वीवीआईपी जाम में फंस गए और कई की सुरक्षा में बड़ी चूक हुई। डीजीपी ने इस मामले में लखनऊ कमिश्नर समेत कमिश्नरेट के तमाम अफसरों की बैठक बुला ली। डीजीपी ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का बयान भी दे दिया। लेकिन शाम होते-होते मुख्य सचिव के यहां हुई बैठक में लखनऊ पुलिस-प्रशासन की जमकर तारीफ कर दी गई और किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।

अफसरों को किए गए फोन भी बना हटाए जाने का कारण

विधानसभा चुनाव की मतगणना से एक दिन पहले अफसरों को किए गए फोन भी डीजीपी को हटाए जाने की एक वजह हैं। दरअसल चुनाव के दौरान करीब एक दर्जन पुलिस अफसरों के नाम इस बात को लेकर चर्चा में आए थे कि वे सपा मुखिया और उनके करीबियों के संपर्क में हैं।

इससे पहले हटाए गए थे जावीद अहमद

योगी सरकार ने इससे पहले डीजीपी के पद पर तैनात रहे जावीद अहमद को हटाया था। दरअसल जावीद अहमद सपा सरकार के कार्यकाल में डीजीपी थे। योगी सरकार ने सत्ता संभालने के करीब तीन माह बाद जावीद अहमद को डीजीपी के पद से हटाया था।