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Diwali Holiday:इस दिन होगी दीवाली, विद्वत सभा ने किया ऐलान, तिथि को लेकर संशय खत्म

Diwali date fixed:दीवाली की तिथि को लेकर संशय की स्थिति चल रही है। इसी बीच विद्वव सभा ने बैठक कर दीवाली तिथि की घोषणा कर दी है। विद्वत सभा से जुड़े तमाम प्रकांड विद्वान ब्राह्मणों ने ये निष्कर्ष निकाला है। बैठक में भारतीय नेपाली ब्रह्मण सभा, वैदिक ब्रह्मण, ब्रह्मण महासंघ, उत्तराखंड पुरोहित समाज सहित कई संगठन शामिल रहे।

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लखनऊ

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Naveen Bhatt

Oct 23, 2024

Diwali 2024 date

दीवाली तिथि को लेकर संशय विद्वत सभा ने खत्म कर दिया है

Diwali date fixed:दीवाली तिथि को लेकर देश भर में संशय का माहौल बना हुआ है। अमावस्या की तिथि के कारण इस साल दीवाली की तिथि को लेकर मतभेद सामने आ रहे हैं। इसी को लेकर मंगलवार को उत्तराखंड विद्वत सभा की देहरादून स्थित मां काली मंदिर में बैठक बुलाई गई। बैठक में कई संगठन शामिल हुए। बैठक की अध्यक्षता सभाध्यक्ष आचार्य विजेंद्र प्रसाद ममगाईं ने की। मंच संचालन सभा के सांस्कृतिक एवं संगठन सचिव आचार्य सुभाष चमोली ने किया। बैठक में सभा के सदस्यों ने कहा कि दीवाली मनाने पर समाज में किसी तरह का संशय नहीं होना चाहिए। इसमें एकरूपता होनी चाहिए। इसी को देखते हुए दीवाली तिथि शास्त्रत्त् सम्मत और तार्किक रूप से तय की गई। सर्वसम्मति से विद्वत सभा ने पूरे उत्तराखंड के साथ ही देश भर में दीवाली की तिथि तय की ।

एक नवंबर को मनाएंगे दीवाली

बैठक में विद्वत सभा के सदस्यों ने दीवाली तिथि को लेकर संशय दूर किया। उन्होंने कहा कि दीवाली पर्व को लेकर लोगों में किसी प्रकार का संशय नहीं होना चाहिए। कहा कि शास्त्रों के अनुसार ही दीवाली मनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस साल दीवाली एक नवंबर को मनाई जाएगी। उत्तराखंड के साथ ही पूरे देश में एक नवंबर को दीवाली मनाई जाएगी। विद्वत सभा सदस्यों ने पंचांग का गहन अध्ययन कर ये निष्कर्ष निकाला।

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बैठक में तमाम विद्वानों ने रखे तर्क  

दीवाली तिथि को लेकर बुलाई गई विद्वत सभा की बैठक में सभा के अध्यक्ष आचार्य रामप्रसाद उपाध्याय, संरक्षक रामप्रसाद गौतम, थानेश्वर उपाध्याय, उतराखंड पुरोहित समाज के आचार्य हर्ष पति घिल्डियाल, लक्ष्मी प्रसाद ममगाईं, आचार्य डॉ. सुशांत राज, आचार्य वाचस्पति डिमरी, सभा के सह सचिव आचार्य मुरली मनोहर सेमवाल, आदित्य राम थपलियाल, चतुर्वेद विद्यालय वैदिक ब्रह्मण सभा के अध्यक्ष पवन शर्मा, प्रधानाचार्य भरत राम तिवारी, पूर्व अध्यक्ष डॉ. संदीप रतूड़ी, आचार्य जयप्रकाश गोदियाल और पूर्व महासचिव आचार्य चंद्रप्रकाश ममगाईं आदि शामिल रहे।