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वित्तमंत्री के बयान के बाद कर्मचारियों का नुकसान तय, EPFO को लेकर फैसला जल्द, जानें कितना होगा नुकसान

locationलखनऊPublished: Mar 22, 2022 04:58:36 pm

Submitted by:

Prashant Mishra

EPF new rate of interest: सातवें वेतनमान को लेकर सरकारी कर्मचारियों को मोदी सरकार से काफी उम्मीदें थी। अंदाजा लगाया जा रहा था कि बकाए भुगतान को लेकर फैसला हो सकता है। लेकिन होली के मौके पर केंद्र सरकार ने कर्मचारियों को तोहफा देने की जगह झटका दिया है। होली से पहले केंद्र की मोदी सरकार ने पीएफ खाताधारकों को जोर का झटका देने की तैयारी में है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की बैठक में वित्तीय वर्ष 2021-2022 के लिए पीएफ जमा पर ब्याज दर में 0.7 प्रतिशत कटौती का निर्णय लिया गया है जिसके बाद ब्याज दर 8.5% से घटकर 8.1% हो सकती है।

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Nirmala Sitharaman कर्मचारी भविष्य निधि पर ब्याज दर को कम करने के मुद्दे पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में अपनी बात रखी है। केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि कर्मचारी भविष्य निधि पर प्रस्तावित 8.1% ब्याज दर बाकी अन्य बचत योजनाओं से बेहतर है। इसमें किया गया संशोधन मौजूदा समय को ध्यान में रखें किया जा रहा है। इस दौरान जानकारी देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ईपीएफओ केंद्रीय बोर्ड भविष्य निधि में जमा की गई धनराशि पर ब्याज का फैसला लेता है। बोर्ड की ओर से वर्ष 2021-22 के लिए ईपीएफ दरों को कम करते हुए 8.1% रखने का प्रस्ताव भेजा गया है। वित्त मंत्री की बात के बाद ईपीएफओ पर मिलने वाले ब्याज की दर को होने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। अगर ऐसा होता है तो कर्मचारियों का नुकसान होगा।
तैयार हुआ प्रस्ताव

EPF new rate of interest: सातवें वेतनमान को लेकर सरकारी कर्मचारियों को मोदी सरकार से काफी उम्मीदें थी। अंदाजा लगाया जा रहा था कि बकाए भुगतान को लेकर फैसला हो सकता है। लेकिन होली के मौके पर केंद्र सरकार ने कर्मचारियों को तोहफा देने की जगह झटका दिया है। होली से पहले केंद्र की मोदी सरकार ने पीएफ खाताधारकों को जोर का झटका देने की तैयारी में है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की बैठक में वित्तीय वर्ष 2021-2022 के लिए पीएफ जमा पर ब्याज दर में 0.7 प्रतिशत कटौती का निर्णय लिया गया है जिसके बाद ब्याज दर 8.5% से घटकर 8.1% हो सकती है।
पिछले 40 साल में सबसे कम दर

यह दर पिछले 40 साल में सबसे कम ब्याज दर है। इस फैसले से देश में करीब 5 करोड़ कर्मचारियों को नुकसान होगा। इससे पहले 1977-78 में ईपीएफ के आठ प्रतिशत व्यास दिया था उसके बाद से या 8.25% या इससे अधिक रहा है। पिछले 40 वर्ष में पहली बार है जब ब्याज दर कम करने की तैयारी है।
निर्णय

श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में गुवाहाटी में ईपीएफओ की बैठक शुक्रवार को शुरू हुई थी। कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने इससे उच्च ब्याज दर की मांग की। पर सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी ने इसे 8.1 फ़ीसदी रखने का निर्णय लिया है। ईपीएफओ के पास इससे 450 करोड़ रुपए का सर प्लस होगा। फैसले के बाद इसकी सूचना वित्त मंत्रालय को मंजूरी के लिए भेजी जाएगी। देश में खाता धारको के लिए 1992 में पीएफ पर ब्याज दर 30 फ़ीसदी थी जिसके बाद इसमें बढ़ोतरी होती रहे। 1972 में पहली बार यह 6 फ़ीसदी के ऊपर गई। 1984 से पहली बार 10 फीसदी के ऊपर पहुंची।
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अन्य निवेश से है बेहतर

EPF new rate of interest: अभी भी ईपीएफ में निवेश करना बाकी निवेशकों से बेहतर है। एफडी व अन्य बचत योजनाओं से ईपीएफ में अधिक ब्याज मिलता है। एफडी में निवेश करने पर 5.4 फ़ीसदी रिटर्न मिलता है जबकि ईपीएफ में निवेश करने पर 8.1% ब्याज मिलता है। इतना ही नहीं ईपीएफ के अन्य निवेश पर ब्याज दर 6.8% से 7.1% ही है।
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