
God in Court : श्रीकृष्ण जन्मभूमि और आगरा से जुड़े मामलों की सुनवाई टली, ज्ञानवापी में बहस जारी
वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के मामले की सुनवाई के साथ ही भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में शाही मस्जिद का मामला भी काफी गरम है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटी शाही मस्जिद को हटाने के मामले में मंगलवार को एक वकील के निधन के कारण सुनवाई स्थगित कर दी गयी। उधर ताजमहल से जुड़े 12 कमरों को खाली कराने संबंधी याचिका पर भी सुनवाई नहीं हो सकी। अब इस मामले में 12 मई को अदालत बैठेगी। मथुरा में श्रीकृष्ण मंदिर से सटी शाही मस्जिद ईदगाह को हटाने के मामले में जिला अदालत में मंगलवार की सुनवाई को स्थगित कर दिया गया है। इस केस की सिविल जज सीनियर डिविजन के कोर्ट में सुनवाई होनी थी। ज्ञानवापी परिसर की तरह मथुरा में भी कमिश्नर नियुक्त कर सर्वे कराने को लेकर अदालत में सुनवाई थी। इसके अलावा एक और वाद पर भी सुनवाई थी। जिसमें यहां के श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से शाही मस्जिद ईदगाह को हटाकर पूरी जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपने की मांग की गई है। दोनों याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने जानकारी दी कि केशव देव मंदिर से संबंधित जो भी साक्ष्य हैं, वो मिटाए जा रहे हैं।
ज्ञानवापी परिसर विवाद में सुनवाई जारी
उधर, काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी परिसर विवाद में मंगलवार को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट में करीब डेढ घंटे तक गरमा गरम बहस हुई। इस दौरान वादी और प्रतिवादी की ओर से कोर्ट कमिश्नर को बदलने, मस्जिद के भीतर सर्वे की इजाजत देने का मसला उठा। दोनों पक्षों की ओर से वकीलों ने अपना-अपना पक्ष प्रस्तुत किया। बहस के दौरान प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने कुछ अन्य तथ्य प्रस्तुत करने के लिए बुधवार तक की मोहलत मांगी जिस पर अदालत ने 11 मई तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी।
ताजमहल के 20 कमरों को खुलवाने की मांग पर 12 को सुनवाई
इस बीच आगरा के ताजमहल के 20 कमरों को खुलवाने की मांग वाली अयोध्या के भाजपा नेता की याचिका पर मंगलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई नहीं हो सकी। वकीलों की हड़ताल के कारण अब इस मामले में सुनवाई 12 मई को होगी।
याचिका में यह है मांग
भाजपा के मीडिया प्रभारी डॉ. रजनीश सिंह ने ताजमहल का सर्वे कराने की मांग की है। उनकी मांग है कि ताजमहल के बंद पड़े 22 कमरों को खुलवा कर सरकार की तरफ से फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित हो, जो कि वहां पर जांच करे कि क्या वहां पर बंद पड़े कमरों में देवी या देवताओं की मूर्तियां हैं। ताजमहल का सर्वे तथा वीडियोग्राफी की जाए। जिससे कि हकीकत सामने आ सके। याचिका में यह भी मांग की गई है कि आगरा के ताज महल, फतेहपुर सीकरी, आगरा लाल किला, अथमदुल्ला और अन्य स्मारकों को प्राचीन व ऐतिहासिक स्मारकों और पुरातत्व स्थलों और अवशेष (राष्ट्रीय महत्व की घोषणा) अधिनियम 1951 के प्रावधानों के तहत ऐतिहासिक स्मारकों के रूप में घोषित करने से संबंधित प्रावधान और प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 को भारत के संविधान के खिलाफ घोषित किया जाना चाहिए और तदनुसार उन्हें अलग रखा जाना चाहिए।
Published on:
10 May 2022 05:45 pm
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