वे कहते हैं कि गुरु ही वह होता है जो शिष्यों को समाज में रहने योग्य बनाता है, सही मार्ग में चलने के लिए प्रेरित करता है लेकिन असलियत में अब ऐसा नहीं रह गया है। शिक्षा और शिक्षण दोनों धन पर आ टिके हैं। पूंजीपति के बच्चों को तो अच्छी शिक्षा मिल जाती है लेकिन गरीब के बच्चे को नहीं। श्री तिवारी कहते हैं कि हमारे देश में शिक्षा व्यवस्था बहुत बुरे दौर से गुजर रही हैं जहां एक तबका ऐसा है जो अच्छी शिक्षा से महरूम है और इसकी वजह सिर्फ इतनी सी है कि वह स्कूलों व शिक्षकों की भारी-भरकम फीस नहीं चुका सकता।