ये भी पढ़ें- मुलायम सिंह यादव इस सीट से लड़ेंगे लोकसभा चुनाव, सपा महासचिव ने दिया बयान क्यों आई यह समस्या- एचएएल का बिज़नेस मूल रूप से रक्षा मंत्रालय पर निर्भर करता है, जो सशस्त्र बलों को बजट आवंटित करता है। इसके लिए रक्षा मंत्रालय एचएएल को भुगतान करता है। वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए रक्षा मंत्रालय ने 13,700 करोड़ रुपये का बजट दिया था। वहीं 2018-19 का संशोधित बजट 33,715 करोड़ रुपये था, जिसमें 2017-18 का बकाया शामिल था। कंपनी के सामने आए इस वित्तीय संकट का प्रमुख कारण इसके सबसे बड़े उपभोक्ता भारतीय वायुसेना द्वारा बकाया न चुकाना है। सितंबर 2017 से भारतीय वायुसेना ने कंपनी को भुगतान नहीं किया है। अक्टूबर 2018 तक उनका कुल बकाया तक़रीबन दस हज़ार करोड़ रुपये था। 31 दिसंबर 2018 को यह बकाया 15,700 करोड़ रुपये था, जो कंपनी के चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर माधवन के अनुसार 31 मार्च तक बढ़कर 20,000 करोड़ रुपये हो जाएगा।
ये भी पढ़ें- अखिलेश-मायातवी की बैठक के सवाल पर सपा महासचिव ने दिया बयान 31 मार्च तक होगी 6000 करोड़ रुपए की और कमी- आर.माधवन ने एक अखबार को बताया था कि उनके हाथ में कैश बिल्कुल नहीं है। इसलिए करीब 1 हज़ार करोड़ रुपये बतौर ओवरड्राफ्ट उधार लेने पड़े हैं। आगामी 31 मार्च तक हमारे पास 6000 करोड़ रुपये की कमी हो जाएगी, जिसमें गुजारा करना बेहद मुश्किल हो जायेगा। उन्होंने कहा कि रोज़मर्रा के काम के लिए तो उधार ले सकते हैं, लेकिन प्रोजेक्ट संबंधी खरीददारी के लिए नहीं। एचएएल कोशिश में है कि अपनी ओवरड्राफ्ट सीमा वो कैसे भी 1,950 करोड़ रुपये से अधिक तक ले जाए। माधवन का कहना है कि हमेशा से हमारे पास पर्याप्त कैश रहा है, लेकिन ऐसा कई दशकों में पहली बार हुआ है कि हमें उधार लेना पड़ा है।