19 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

आंदोलन न हो, इसलिए किसानों से मांगे दस लाख रुपए तक के बॉन्ड, हाईकोर्ट ने प्रशासन से मांगा जवाब

दिल्ली में किसान आंदोलन जैसे हालातों को रोकने के लिए सीतापुर प्रशासन ने किसानों से 50 हजार रुपए से लेकर 10 लाख रुपए तक के निजी बॉन्ड मांगे थे।

2 min read
Google source verification

लखनऊ

image

Abhishek Gupta

Jan 28, 2021

highcourt

highcourt

पत्रिका न्यूज नेटवर्क.

लखनऊ. दिल्ली में किसान आंदोलन जैसे हालातों को रोकने के लिए सीतापुर प्रशासन ने किसानों से 50 हजार रुपए से लेकर 10 लाख रुपए तक के निजी बॉन्ड मांगे थे। इस अजीब तरह की कार्यवाही को लेकर दायर पीआईएल के बाद लखनऊ हाईकोर्ट ने सरकारी अफसरों से पूछा कि किसानों से इतनी बड़ी रकम क्यों मांगी गई है। इस मामले में अगली सुनवाई 2 फरवरी को होगी।

ये भी पढ़ें- यूपी में जारी किसान आंदालोन को खत्म कराने के निर्देश, सभी एसपी व डीएम एक्शन मोड में

दरअसल सीतापुर प्रशासन ने किसान आंदोलन के मद्देनजर कानून उल्लंघन की आशंका के चलते 10 किसानों से 50 हजार रुपए से लेकर 10 लाख रुपए तक के निजी बॉन्ड भरने की मांग रख दी। मामले में दायर की गई पीआईएल में एक्टिविस्ट अरुंधति धुरु ने कहा कि 19 जनवरी को ट्रैक्टर रखने वाले सभी किसानों को नोटिस जारी किया। यही नहीं पुलिस ने उनके घरों का घेराव भी किया जससे किसानों को आंदोलन में भाग लेने से रोका जा सके। सीतापुर जिलाधिकारी के अंतर्गत काम करने वाले दोनों एसडीएम ने किसानों को रोकने के लिए आधारहीन नोटिस जारी किए। यह आदेश किसानों के मूलभूत अधिकारों का हनन है, क्योंकि उन्हें घर से बाहर निकलने तक की इजाजत नहीं दी गई।

कोर्ट ने मांगा जवाब-
25 जनवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सुनवाई के दौरान प्रशासन से पूछा कि आखिर किन परिस्थितियों की वजह से किसानों से निजी बॉन्ड की इतनी बड़ी रकम मांगी गई है। साथ ही जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस राजीव सिंह की बेंच ने सरकार के वकील एडिशनल एडवोकेट जनरल विनोद कुमार शाही को निर्देश दिए कि वह पूरे मामले की जानकारी सीतापुर डीएम से हासिल करें।

ये भी पढ़ें- इस आजादी को बनाए रखना है- मुलायम सिंह यादव

एसडीएम ने सही ठहराया-
मामले में महोली के एसडीएम पंकज राठौड़ ने इस कार्यवाही को न्यायसंगत बताया हुए कहा कि यदि वे यह कदम न उठाते तो सीतापुर में भी वही हालात होते जो दिल्ली में हुए थे। सीतापुर के 35 किसानों ने दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था। इसके अलावा जिले के मिश्रिख इलाके में भी 13 जनवरी को एक प्रदर्शन हुआ था।