
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. होली के त्यौहार से आठ दिन पहले 22 मार्च को होलाष्टक शुरू हो जाएगा। होलाष्टक लगने के साथ ही शुभ कार्यों पर भी पूरी तरह से रोक लग जाएगी। इस बीच मांगलिक कार्य भी नहीं हो सकेंगे। शहर के तिराहों, चौराहों पर वर्ष भर के कष्ट-विकार जलाने के लिए होलिकाएं तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 25 मार्च को रंगभरी एकादशी पर वेणी माधव के दरबार से संगमनगरी में रंगोत्सव की शुरुआत हो जाएगी। फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष अष्टमी यानी होली से आठ दिन पहले होलाष्टक लगने के साथ ही शुभ कार्यों पर एक बारगी विराम लग जाएगा। होलिका दहन के बाद धुरंडी के साथ होलाष्टक समाप्त होगा। इस दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। लखनऊ निवासी ज्योतिषियों के अनुसार फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष अष्टमी से फाल्गुन की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तक होलाष्टक प्रभावी रहेगा।
इस बार 28 मार्च को होलिका दहन होगा, 29 मार्च को चैत्र प्रतिपदा के दिन धूमधाम से रंगोत्सव मनाया जाएगा। फिलहाल शहर से लेकर ग्राम्यांचलों तक होलिकाएं तैयार की जा रही हैं। शहर में हर तिराहे, चौराहे पर होलिकाओं की प्रतिष्ठापना की गई है। मुहल्लों के बच्चे, किशोर और युवा होलिकाओं के लिए लकड़ियां जुटा रहे हैं, ताकि होलिकाएं ऊंची की जा सकें। उधर, मंदिरों और मठों में फाग, होरी गीतों पर ढोल-मंजीरे के साथ लोग झूमने लगे हैं।
इसी के साथ फागुनी बहार छाने लगी है। ज्योतिषाचार्य ब्रजेंद्र मिश्र होलाष्टक की परंपरा के पीछे पौराणिक मान्यताओं का जिक्र करते हैं। उनके मुताबिक राजा हिरण्यकश्यप ने होलाष्टक की अवधि में ही भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को बंदी बना लिया था और यातनाएं दी थीं।
25 मार्च को रंगभरी एकादशी
इसी होलाष्टक के दौरान ही हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की मदद से भक्त प्रह्लाद को जलाकर मार डालने का षड्यंत्र रचा था। लेकिन, खुद होलिका का दहन हो गया और भक्त प्रह्लाद प्रभु का नाम लेकर बच निकले थे। इसलिए होलाष्टक में कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। होलाष्टक के दौरान ही 25 मार्च को रंगभरी एकादशी होगी। रंगभरी एकादशी को प्रयागराज के नगर देवता भगवान वेणी माधव रंगों से सराबोर होंगे। शहर के लोग भगवान वेणी माधव की रंगमय स्तुति करेंगे। इसी के साथ पांच दिवसीय रंगोत्सव आरंभ हो जाएगा। पुराणों में होलाष्टक को लेकर एक और मान्यता है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने फाल्गुन मास की अष्टमी तिथि को कामदेव को भस्म कर दिया था। इससे प्रकृति में शोक की लहर फैल गई थी और लोगों ने शुभ कार्य करना बंद कर दिया था। इस वजह से भी होलाष्टक में को शुभ कार्य नहीं किए जाते।
Published on:
20 Mar 2021 09:44 am
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