बिहार के रहने वाले सुब्रत रॉय ने अपने करियर की शुरुआत स्कूटर पर नमकीन बेचकर की थी। रॉय बचपन से ही कुछ अपनी जिंदगी में बड़ा करना चाहते थे। उनकी इसी चाहत ने उन्हें सहारा ग्रुप का मालिक बना दिया। कहा जाता था कि सुब्रत रॉय को सपने बेचने में महारात हासिल थी। उन्हें ये बात समझ में आ गई थी कि नमकीन बेचकर कुछ नहीं होगा, इसलिए उन्होंने अपने एक दोस्त के साथ 1976 में चिट फंड कंपनी शुरू की। जल्द ही उनकी स्कीम पूरे देश में फेमस हो गई और लाखों की संख्या में लोग स्कीम से जुड़ते चले गए। 1978 तक उन्होंने इसे सहारा इंडिया परिवार में बदल दिया, जो आगे चलकर भारत की सबसे बड़ी समूहों की कंपनी में से एक बन गई।

सुब्रत रॉय ने अपने कारोबार को रियल एस्टेट, फाइनेंस, मीडिया, एंटरटेनमेंट, इंफ्रास्ट्रक्चर, हेल्थ केयर, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, हॉस्पिटैलिटी, रिटेल तक फैलाया। इसके साथ ही, उन्होंने एविएशन सेक्टर में भी कदम रखा। सिर्फ इतना ही ही, न्यूयार्क में उन्होंने 4400 करोड़ के 2 आलीशान होटल खरीदे। लखनऊ के गोमतीनगर में उन्होंने 170 एकड़ जमीन पर अपना पूरा शहर बसा डाला।

सुब्रत रॉय ने अपने मेहनत ने अपना पूरा साम्राज्य बना लिया था। लेकिन उनकी एक गलती की वजह से उनके पतन की शुरुआत हो गई थी। दरअसल, सहारा ग्रुप 11 लाख से भी ज्यादा कर्मचारी जुड़ चुके थे। सहारा ग्रुप कई लोगों का ‘सहारा’ बन चुका था। 2009-10 में सहारा ग्रुप और उसके चेयरमैन सुब्रत रॉय के पतन की शुरुआत हुई। हालात कुछ यूं बने कि उन्हें जेल की हवाल खानी पड़ी। सालों की मेहनत का साम्राज्य पलभर में बिखर गया।
साल 2009 में रॉय ने अपनी दो कंपनियों ‘सहारा इंडिया रियल इस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड’ और ‘सहारा हाउसिंग इवेस्टेमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड’ का IPO लाने का प्रस्ताव बाजार नियामक SEBI के सामने रखा था। दस्तावेजों की चेकिंग में SEBI ने कुछ गड़बड़ी पाई। सहारा पर ये आरोप लगा कि उसने निवेशकों का पैसा गलत तरीके से इस्तेमाल किया है। इसी मामले में सहारा पर 12,000 करोड़ का जुर्माना लगाया गया और बस यहीं से सहारा ग्रुप के बुरे दिन शुरू हो गए।

SEBI ने 24 नवंबर, 2010 को सहारा ग्रुप को पब्लिक से पैसा जुटाने पर बैन लगा दिया। यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने सहारा ग्रुप को ये आदेश दिया कि वो निवेशकों के पैसे 15 फीसदी सालाना ब्याज के साथ लौटाए। यह रकम 24,029 करोड़ रुपए थी। जब सहारा ग्रुप निवेशकों को पैसे लौटने में नाकाम रहा, तो कोर्ट ने रॉय को जेल भेज दिया। ज्यादा कमाने की ये चाहत सुब्रत रॉय को बहुत भारी पड़ी। उन्होंने अपनी जिंदगी के दो साल से ज्यादा समय जेल में ही काटे। 14 नवंबर 2023 को उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली।