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यूपी में तीन साल में बढ़ गए तीन गुना साइबर अपराध

उप्र में बड़ी तेजी से साइबर क्राइम बढ़ा है। तीन साल में तीन गुना लोग साइबर ठगी के शिकार हुए। यूपी में 18 थाने साइबर थाने काम कर रहे हैं। साइबर ठगी का शिकार होने पर इन थानों में शिकायत दर्ज करायी जा सकती है।

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लखनऊ. (पत्रिका न्यूज नेटवर्क). यूपी में साइबर क्राइम तेजी से बढ़ रहा है। हर दिन साइर क्राइम के मामले सामने आ रहे हैं। इनमें से ज्यादातर मामले बैंक फ्रॉड के होते हैं। साइबर अपराधी तरह-तरह के हथकंडे अपना कर खाते से पैसे उड़ा ले हे हैं। ऑनलाइन मनी ट्रांसफर, सोशल नेटवर्किंग, ऑनलाइन शॉपिंग, डेटा स्टोर, गेमिंग, ऑनलाइन स्टडी और ऑनलाइन जॉब सर्च करते समय लोग साइबर अपराध के शिकार हो रहे हैं। यूपी के 18 साइबर थाने भी अपराध रोकने में कारगर नहीं है। प्रदेश में तीन साल में तीन गुना साइबर अपराध बढ़ गया है।

क्या है साइबर क्राइम
किसी व्यक्ति की जानकारी चोरी करना, जानकारी मिटाना, जानकारी में फेर बदल करना, किसी कि जानकारी को किसी और देना या नष्ट करना साइबर क्राइम है। स्पैम ईमेल, हैकिंग, फिशिंग, किसी की जानकारी को ऑनलाइन प्राप्त करना या किसी पर हर वक्त नजर रखना साइबर अपराध है।

कोरोना काल में और अधिक वृद्धि
भारत में साइबर अपराध में वर्ष 2005 से ही लगातार वृद्धि हो रही है, लेकिन कोरोना काल में बहुत अधिक वृद्धि हुई है। एक आंकड़े के अनुसार 2019 की तुलना में 2020 में पंजाब में साइबर अपराध के मामलों में लगभग तीन गुना और उत्तर प्रदेश में 70 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उत्तर प्रदेश में 2017 में 4971, 2018 में 6280 और 2019 में 11416 मामले साइबर अपराध के दर्ज हुए। बीते कुछ सालों में उत्तर प्रदेश में साइबर अपराध सबसे ज्यादा बढ़ा है. साल 2018 में साइबर अपराध के 6280 मामले सामने आए जो साल 2017 से 27 फीसदी अधिक था। 2020 साइबर क्राइम से जुडी 7000 से ज्यादा मामले आए।

यूपी की सभी रेंज मुख्यालयों में 18 साइबर थाने
उत्तर प्रदेश के सभी 18 रेंज मुख्यालयों पर 18 साइबर थाने बना दिए गए हैं। सभी रेंज के जिलों में साइबर अपराध से जुड़े मामलों पर ये साइबर थाने एफआईआर दर्ज हो रही है। थाने में ही विवेचना और आरोपियों की गिरफ्तारी कर चार्जशीट भी दाखिल करने की सुविधा है। लखनऊ और नोएडा में पहले से ही साइबर सेल और साइबर थाना काम कर रहे हैं।

इनके जिम्मे है अपराध रोकना
साइबर थानों में 3 इंस्पेक्टर, 3 सब इंस्पेक्टर, 5 हेड कांस्टेबल और 32 कांस्टेबल काम कर रहे हैं। हर साइबर थाने की अपनी ई-मेल आईडी और सरकारी मोबाइल नंबर है। ई-मेल के जरिए या व्हाट्सएप के जरिए साइबर थाने को अपनी तहरीर भेजी जा सकती है। एक लाख से अधिक के फ्रॉड वाले मुकदमे इन साइबर थानों में और एक लाख से कम के फ्रॉड जिले के संबंधित थाने में दर्ज हो रहे हैं। डीजीपी मुख्यालय में एडीजी क्राइम के अधीन काम कर रही साइबर सेल प्रदेश भर में दर्ज मुकदमों की मॉनिटरिंग करती है और हर थाने से एक रिपोर्ट डीजीपी मुख्यालय को भेजती है। भारत सरकार के साइबर क्राइम पोर्टल से भी साइबर थाने पर एफआईआर दर्ज की जा सकती है।

पुलिस में साइबर विशेषज्ञों की कमी
पुलिस में साइबर विशेषज्ञों की भारी कमी है। साइबर अपराधी इसका लाभ उठा रहे हैं। साइबर थानों की संख्या बढ़ाई जा रही है। केन्द्र सरकार ने बढ़ते साइबर क्राइम से निपटने के लिए देश भर में 18 साइबर फोरेंसिक-सह-प्रशिक्षण लैब शुरू किये हैं।

जागरूकता और ऐहतियाती उपायों से ही अंकुश
साइबर क्राइम से निपटने और अंकुश लगाने के लिए पुलिस हर संभव कोशिश कर रही है। लेकिन, केवल पुलिस के प्रयास से इसे रोक पाना संभव नहीं है। इसके लिए जागरुकता और ऐहतियाती कदमों की आवश्यक्ता है।