लखनऊPublished: Nov 21, 2018 08:05:45 am
आकांक्षा सिंह
गंगा स्नान कार्तिक पूर्णमासी को आरोग्य प्राप्ति तथा उसकी रक्षा का पर्व है।
लखनऊ. गंगा स्नान कार्तिक पूर्णमासी को आरोग्य प्राप्ति तथा उसकी रक्षा का पर्व है। वैसे तो स्नान प्रतिदिन आरोग्य प्राप्ति के लिए करना चाहिए, फिर भी माघ, वैशाख तथा कार्तिक पूर्णमासी को गंगा स्नान विशेष शुभकारी है। इस तिथि को देव दीपवाली भी कहते है। इसका रहस्य पुराणों की कथा में लिखा गया है। कथा इस प्रकार है की असुर बालि की कृपा प्राप्त त्रिपुरासुर भयंकर असुर थे। महाभारत के कर्णपर्व में त्रिपुरासुर के वध की कथा बड़े विस्तार से मिलती है। भगवान कार्तिकेय द्वारा तारकासुर का वध करने के बाद उसके तीनों पुत्रों ने देवताओं से बदला लेने का प्रण कर लिया। तीनों पुत्र तपस्या करने के लिए जंगल में चले गए और हजारों वर्ष तक अत्यंत दुष्कर तप करके ब्रह्माजी को प्रसन्न किया। तीनों ने ब्रह्माजी से अमरता का वरदान मांगा। ब्रह्माजी ने उन्हें मना कर दिया और कहने लगे कि कोई ऐसी शर्त रख लो, जो अत्यंत कठिन हो। उस शर्त के पूरा होने पर ही तुम्हारी मृत्यु हो। तीनों ने खूब विचार कर, ब्रह्माजी से वरदान मांगा- हे प्रभु! आप हमारे लिए तीन पुरियों का निर्माण कर दें और वे तीनों पुरियां जब अभिजित् नक्षत्र में एक पंक्ति में खड़ी हों और कोई क्रोधजित् अत्यंत शांत अवस्था में असंभव रथ और असंभव बाण का सहारा लेकर हमें मारना चाहे, तब हमारी मृत्यु हो। ब्रह्माजी ने कहा- तथास्तु!