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स्वदेशी 5-जी नेटवर्क तैयार, आईआईटी ने की पहली वीडियो कॉल, इस तरह आसान करेगा काम

New Technology Swadeshi 5G Network: देश ने भी 5-जी नेटवर्क तकनीक विकसित कर ली। देश के बड़े संस्थानों के वैज्ञानिकों ने मिलकर सफल परीक्षण भी कर लिया।

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लखनऊ

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Snigdha Singh

May 07, 2022

हर कोई तकनीक में आगे बढ़ रहा है। विदेशों ने 5-जी पहले ही विकसित कर लिया था लेकिन अब भागत को भी सफलता मिली। आईआईटी कानपुर ने स्वदेशी 5-जी नेटवर्क में लगभग काम पूरा कर लिया है। संस्थान के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के वैज्ञानिक प्रो. रोहित बुद्धिराजा व उनकी टीम ने 5-जी बेस स्टेशन की बेसबैंड यूनिट विकसित कर ली है। अन्य संस्थानों में तैयार उपकरणों को इंटीग्रेड कर ट्रायल भी कर लिया गया है। इस तकनीक से देश के पहले आत्मनिर्भर नेटवर्क से पहली वीडियो कॉल पिछले शनिवार को की गई, जो पूरी तरह सफल रही। अगले पांच से छह महीने में 4-जी से 5-जी में कितना अंतर आ रहा है, इसका आकलन किया जाएगा। 5-जी नेटवर्क से लोगों को अधिक आसानी होगी।

केंद्र सरकार ने स्वदेशी 5-जी नेटवर्क तैयार करने के लिए देश के चुनिंदा संस्थानों के वरिष्ठ वैज्ञानिकों को अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी थी। इसमें आईआईटी कानपुर भी शामिल था, जिसे टॉवर का दिल व दिमाग मतलब बेसबैंड यूनिट विकसित करने की जिम्मेदारी मिली थी। संस्थान के वैज्ञानिक प्रो. रोहित बुद्धिराजा ने बताया कि दो साल की रिसर्च के बाद वायरलेस बेस स्टेशन के लिए जरूरी बेसबैंड यूनिट तैयार हो गई है। यह टॉवर के निचले हिस्से में लगती है, जिसे टावर का दिल व दिमाग कहते हैं। इस यूनिट का काम सिग्नल को डाटा के रूप में कनवर्ट कर उपलब्ध कराना होता है। यूनिट जितना अच्छा काम करेगी, नेटवर्क की स्पीड व क्वालिटी उतनी बेहतर होगी। बेसबैंड यूनिट ओरान व एफएपीआई के अनुरूप है। डिजाइन को पूरी तरह से आईआईटी में विकसित किया गया है।

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देश के पांच आईआईटी संस्थानों ने किया तैयार

प्रो. बुद्धिराजा के मुताबिक टावर को आईआईटी मद्रास व समीर ने विकसित किया है, कोर नेटवर्क को आईआईटी बांबे ने तैयार किया है। इसी तरह, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी हैदराबाद, आईआईएससी बेंगलुरु, समीर चेन्नई ने भी दी गई अपनी जिम्मेदारी को पूरा कर लिया है। एक सप्ताह पहले सभी तकनीक को इंटीग्रेड किया गया।

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4-जी से बेहतर मिले परिणाम

पिछले शनिवार को वीडियो कॉल का ट्रायल हुआ, जो पूरी तरह सफल रहा। वीडियो कॉल की क्वालिटी 4-जी के मुकाबले कितनी बेहतर रही, इसका पता अगले कुछ माह में चलेगा। फिलहाल सभी तकनीक सफल रही हैं। आने वाले समय में टीम 4-जी और 5-जी के बीच अंतर पर भी काम करेगी। नेटवर्क की समस्या से लोगों को राहत मिलेगी।