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कैराना-नूरपुर में भाजपा की हार के बाद केशव प्रसाद मौर्य को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी!

लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में हो सकता है बड़ा बदलाव।  

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Kairana-Noorpur

कैराना-नूरपुर में भाजपा की हार के बाद केशव प्रसाद मौर्य को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी!

लखनऊ. भाजपा ने 2017 का यूपी विधानसभा चुनाव केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में लड़ा था और प्रचंड बहुमत से जीत हुई थी। इस जीत में केशव प्रसाद मौर्य की महत्वपूर्ण भूमिका थी। वहीं सीएम योगी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में भाजपा लगातार उप चुनावों में हार का सामना कर रही है, जिसको लेकर योगी और प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ विरोध के सुर भी उठने लगे हैं। सूत्रों की मानें तो इस हार के बाद से प्रदेश अध्यक्ष को हटाने की बात भी अंदरखाने में सुनने को मिल रही है। वहीं योगी के विरोधी योगी को भी हटाने की मांग कर सकते हैं। लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी में फेरबदल होने की संभावना है। केशव प्रसाद मौर्य को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। लोकसभा चुनाव से पहले यूपी की भाजपा सरकार और संगठन में बड़ा फेरबदल हो सकता है।

भाजपा के एक कार्यकर्ता ने बताया कि केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में भाजपा को विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत मिला था। मौर्य ने पिछड़ी जातियों में भाजपा का जनाधार जोरदार तरीके से बढ़ाया था। जब से भाजपा सत्ता में आई और केशव प्रसाद मौर्य को उप मुख्यमंत्री बनाया गया और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की कमान महेंद्र नाथ पांडेय को सौंपी गई। यहां सबसे बड़ी बात ये है कि उप चुनाव में अक्सर देखा गया है कि जीत सत्ताधारी पार्टी की होती रही है, लेकिन यहां तो ठीक इसके उल्टा हो रहा है भाजपा उप चुनाव में लगातार हार रही है।

गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उप चुनाव में विपक्ष ने जिस तरह से गठबंधन कर भाजपा को मात दिया और उसके बाद अब नूरपुर और कैराना में भी गठबंधन ने जीत का परचम लहरा कर भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दिया है। जाहिर सी बात है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इन चारों सीटों पर मिली हार को लेकर चिंतित होगा।

साधना होगा जातीय समीकरण

भाजपा को हराने में विपक्ष का जातीय समीकरण को साधना महत्वपूर्ण कारण माना जा सकता है। विपक्ष ने पिछड़ा वर्ग, मुस्लिम, दलित को साधने का काम किया और इन्हीं के गठजोड़ से भाजपा को करारी शिकस्त दी है। अब भाजपा को भी किसी बड़े पिछड़े चेहरे को प्रदेश की कमान सौंपनी होगी जिससे वे पिछड़े वर्ग को अपनी ओर खींचने में कामयाब हो सकें।

केशव ही क्यों?

बतादें कि केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में भाजपा यूपी विधानसभा 2017 का चुनाव प्रचंड बहुमत से जीती थी। अब जब कि लगातार भाजपा उप चुनावों में हार रही है। ऐसे में संगठन में मौर्य को बड़ी जिम्मेदारी सौंपने के शुर भी उठने लगे हैं। बतादें कि यूपी में किसी भी पार्टी की जीत में जातीय समीकरण काफी महत्पूर्ण होता है। प्रदेश में 22 प्रतिशत दलित, 18 प्रतिशत मुस्लिम और करीब 40 प्रतिशत पिछड़े हैं। ऐसे में अगर इनका गठजोड़ करने में जो भी पार्टी कामयाब हो जाएगी जीत उसकी निश्वित हो जाएगी।