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27 जुलाई से शुरू होगी कांवड़ यात्रा, एेसा करने से तुरंत होगी मनोकामना पूरी

27 जुलाई से शुरू होगी कांवड़ यात्रा, एेसा करने से तुरंत होगी मनोकामना पूरी

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लखनऊ

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Ruchi Sharma

Jul 20, 2018

yatra

27 जुलाई से शुरू होगी कांवड़ यात्रा, एेसा करने से तुरंत होगी मनोकामना पूरी

लखनऊ. सावन में शिव आराधना का बड़ा महत्व है। इस दौरान जगह-जगह कांवड़ियों की लम्बी कतारें बम बम भोले के जयकारे लगाते हुए दिखतीं है। 27 जुलाई से शुरू हो रही उत्तर भारत की सबसे बड़ी कांवड़ यात्रा के मद्देनजर यूपी में पुलिस और प्रशासन के अफसर जुट चुके है। पुलिस और प्रशासनिक अफसरों ने मीटिंग को लेकर तैयारी कर ली है। यूपी के प्रमुख सचिव (गृह) अरविंद कुमार और डीजीपी ओपी सिंह 20 जुलाई को कांवड़ यात्रा के संबंध में बैठक लेंगे।

ऐसा भी माना जाता है कि भगवान राम पहले कांवड़िया थे। कहते हैं श्री राम ने झारखंड के सुल्तानगंज से कांवड़ में गंगाजल लाकर बाबाधाम के शिवलिंग का जलाभिषेक किया था। वहीं एेसा भी कहा जाता है कि पहली बार श्रवण कुमार ने त्रेता युग में कांवड़ यात्रा की शुरुआत की थी। अपने दृष्टिहीन माता-पिता को तीर्थ यात्रा कराते समय जब वह हिमाचल के ऊना में थे तब उनसे उनके माता-पिता ने हरिद्वार में गंगा स्नान करने की इच्छा के बारे में बताया। उनकी इस इच्छा को पूरा करने के लिए श्रवण कुमार ने उन्हें कांवड़ में बैठाया और हरिद्वार लाकर गंगा स्नान कराए। वहां से वह अपने साथ गंगाजल भी लाए। माना जाता है तभी से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई।

ये है मान्यताएं

पौराणिक मान्यताआें के अनुसार सावन में कांवड़ के माध्यम से जल अर्पण करने से अत्याधिक पुण्य तो प्राप्त होता ही है, साथ ही एेसा विश्वास है कि कांवड़ यात्रा के बाद जल चढ़ाने पर पुत्र की प्राप्ति होती। अलग अलग जगहों की अलग मान्यताएं रही हैं, ऐसा मानना है कि सर्वप्रथम भगवान परशुराम ने कांवड़ लाकर “पुरा महादेव”, में जो उत्तर प्रदेश प्रांत के बागपत के पास मौजूद है, गढ़मुक्तेश्वर से गंगा जी का जल लाकर उस पुरातन शिवलिंग पर जलाभिषेक, किया था। आज भी उसी परंपरा का अनुपालन करते हुए श्रावण मास में गढ़मुक्तेश्वर, जिसका वर्तमान नाम ब्रजघाट है, से जल लाकर लाखों लोग श्रावण मास में भगवान शिव पर चढ़ाकर अपनी कामनाओं की पूर्ति का वरदान प्राप्त करना चाहते हैं।