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रैगिंग रोकने के लिए KGMU में बाउंसर की नियुक्ति, कितने प्रकार की होती है Ragging…

KGMU Raging Committee उत्तर प्रदेश में केजीएमयू स्टूडेंट को रैगिंग से बचाने के लिए अब बाउंसर की नियुक्ति भी की गई है। जिससे पहले साल के स्टूडेंट को इससे बचाया जा सके।

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लखनऊ

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Dinesh Mishra

Feb 14, 2022

File Photo of MBBS Ragging in KGMU

File Photo of MBBS Ragging in KGMU

KGMU Raging Case को देखते हुए इस बार किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी ने नए छात्रों को रैगिंग से बचाने के लिए बाउंसरों को किराए पर रखा गया है, क्योंकि सोमवार से नया सत्र शुरू हो रहा है। पहली बार इस तरह की व्यवस्था की गई है। विभिन्न सरकारी और निजी चिकित्सा शिक्षा संस्थान एमबीबीएस का नया शैक्षणिक सत्र शुरू करने के लिए तैयार हैं, जिसमें महामारी के कारण छह महीने से अधिक की देरी हुई है।

MBBS Student Raging

केजीएमयू और राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज इंडक्शन सेरेमनी करेंगे जिसमें छात्रों को शपथ दिलाई जाएगी, और सोमवार को संस्थानों के प्रमुखों द्वारा उन्हें अप्रॉन भेंट किया जाएगा। लगभग 250 एमबीबीएस और 70 बीडीएस छात्र केजीएमयू में शामिल होंगे और 200 एमबीबीएस छात्र आरएमएलआईएमएस में शामिल होंगे।

20 बाउंसर लगे नए स्टूडेंट की सुरक्षा में

प्रवक्ता डॉ सुधीर सिंह के अनुसार, लगभग 20 बाउंसर नए छात्रों को अटल बिहारी वाजपेयी वैज्ञानिक सम्मेलन केंद्र में रैगिंग से बचाने के लिए उनके छात्रावास में ले जाएंगे। ये बाउंसर नए छात्रों को कक्षाओं से लेकर छात्रावासों तक सुरक्षित रखेंगे। एमबीबीएस का शैक्षणिक सत्र हर साल 1 अगस्त से शुरू होता है, लेकिन 2021-22 बैच के सत्र में करीब साढ़े छह महीने की देरी हो गई है।

मेडिकल आयोग ने 2 महीने कम कर दिया था समय

इसी स्थिति को देखते हुए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने इस सत्र की अवधि को 13 महीने से घटाकर 11 कर दिया है। केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ सुधीर सिंह ने कहा कि छात्रों और शिक्षकों दोनों समय की भरपाई के लिए साप्ताहिक अवकाश और छुट्टियों सहित अतिरिक्त समय देना होगा।

Type of Raging in India

KGMU First Year Student के साथ अक्सर ही कई प्रकार से रैगिंग का शिकार होना पड़ता है। ऐसे में कई बार उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पड़ने वाले केजीएमयू में अलग अलग प्रकार से रैगिंग होती रहती है। जैसे एक बार लाइन में चल रहे सभी जूनियरों ने एक-एक कर सिर झुकाकर सलामी देते हुए देखे गए थे। ये एक हफ्ते तक जारी रहा था।

फर्स्ट इयर के लगभग सभी स्टूडेंट्स के एप्रन घुटने से नीचे ही देख रहे थे। सभी के बाल भी बारीक कटे हुए थे। सीनियर को देखकर कतार में सिर झुकाकर चल रहे अधिकांश स्टूडेंट्स ने काले रंग की पैंट पहन रखी है। ये भी लगभग एक महीने तक चला था।

साल 2018 में सभी एमबीबीएस स्टूडेंट्स सॉरी बॉस-सॉरी बॉस का लगातार बोलते हुए जा रहे थे। लेकिन केजीएमयू ने इसे रैगिंग नहीं माना था। जब मामला मीडिया में बढ़ा तो जांच कमेटी बनीं लेकिन रिपोर्ट शून्य रही।

KGMU Raging Committee

KGMU में इसकी निगरानी के लिए विजिलेंस की टीम बनाई हुई है। जिसकी रिपोर्ट के आधार पर ही एमबीबीएस फर्स्ट इयर के स्टूडेंट्स के लिए दो पुरुष और दो महिला गार्ड नियुक्त किए थे। लेकिन अब उससे काम नहीं बन पा रही है। इसलिए यहाँ बाउंसर की ड्यूटी लगाई गई है।