
लखनऊ. किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय में मरीजों की सुविधा के नाम पर शुरू किये जाने वाले कई प्रयोग मरीजों की परेशानी का कारण बन रहे हैं। ताजा मामला यहां ओपीडी वार्ड में बनाये जाने वाले पर्चों से जुड़ी हुई है। पहले ओपीडी काउंटर पर पर्चा बनवाते समय पर्चे पर डॉक्टर का नाम प्रिंट हो जाता था लेकिन अब इस व्यवस्था में बदलाव कर दिया गया है। पर्चा बनवाते समय मरीज को यह मालूम नहीं हो पाता कि उसे किस डॉक्टर को दिखाना है। इस व्यवस्था को बदलने के पीछे यह कारण बताया जा रहा है कि पर्चा बनाते समय इस बात की जानकारी नहीं रहती कि सम्बंधित डॉक्टर उपलब्ध है अथवा नहीं।
डॉक्टर के नाम की जगह बारकोड
व्यवस्था बदलने के बाद अब ओपीडी में बनने वाले पर्चे में डॉक्टर का नाम नहीं होता बल्कि काउंटर पर एक बारकोड पर्चे पर चिपकाया जाता है। इस बारकोड पर मरीज के का नाम और उससे जुड़ी जानकारी अंकित होती है। इसके साथ ही इस बारकोड वाले पर्चे पर उस विभाग का नाम और स्थान का विवरण होता है, जहाँ मरीज को दिखाना होता है। मरीज को कौन सा डॉक्टर देखेगा, यह सम्बंधित विभाग में जाने के बाद ही तय होता है। विभाग में जाने के बाद मरीज के पर्चे पर डॉक्टर के नाम का एक मोहर अलग से लगाया जाता है। यह हैरत की बात है कि ई-हॉस्पिटल बनने की दौड़ में शामिल केजीएमयू में पर्चा बनाते समय सम्बंधित डॉक्टर का निर्धारण कर पाना भी मुश्किल हो रहा है।
विभाग में बताया जाता है डॉक्टर का नाम
मरीजों को डॉक्टर का नाम विभाग में जाने पर बताया जाता है। इन सबके बीच मरीज को होने वाली परेशानियों से इतर केजीएमयू प्रशासन इस प्रयोग को मरीजों के लिए हितकारी मानता है। केजीएमयू में आईटी सेल के प्रभारी डॉ संदीप भट्टाचार्य कहते हैं कि अब जो पर्चा बनाया जा रहा है, उस पर अलग से एक बारकोड लगा दिया जाता है। इस बारकोड में मरीज का नाम, उसकी उम्र के साथ ही सम्बंधित विभाग का विवरण भी लिखा होता है, जहाँ मरीज को दिखाना है।
Updated on:
26 Mar 2018 11:40 pm
Published on:
26 Mar 2018 06:59 pm
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