
दो अरब रुपए की लागत से खुलेगा देश का पहला किन्नर विश्वविद्यालय
लखनऊ. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के पुत्र कुश के नाम से प्रसिद्ध कुशीनगर उत्तर प्रदेश के साथ देश में भी अब लोगों के जुबान पर आ जाएगा। समाज से कटे लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए एक अहम कार्य किया जा रहा है। कुशीनगर में देश का पहला किन्नर (ट्रांसजेंडर) विश्वविद्यालय शीघ्र खुलने जा रहा है। पहले चरण में प्राथमिक विद्यालय से इसकी शुरुआत होगी।
देवरिया के सांसद डा. रमापतिराम त्रिपाठी ने सोमवार को कुशीनगर जिले के कसया तहसील के गांव नकटहा मिश्र में इस विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया। इसका संचालन अखिल भारतीय किन्नर शिक्षा सेवा ट्रस्ट के जरिए किया जाएगा। इस किन्नर (ट्रांसजेंडर) प्राथमिक केंद्रीय विश्वविद्यालय में किन्नर समाज के लोग प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे। पहले चरण में प्राथमिक विद्यालय से शुरुआत होगी। उसके बाद क्रमश: विस्तार करते हुए जूनियर हाईस्कूल, इंटर कालेज और फिर विश्वविद्यालय संचालित होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने भी किन्नरों को तीसरे जेंडर के रूप में मान्यता दी है। किन्नरों की ऐसा दर्जा देने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है। शिक्षा के जरिए किन्नरों की दशा व दिशा सुधार में किन्नर विश्वविद्यालय एक मील का पत्थर साबित होगा।
अखिल भारतीय किन्नर शिक्षा सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष कृष्ण मोहन मिश्र ने बताया कि किन्नर विश्वविद्यालय पर दो सौ करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसमें कक्षा एक से लेकर पीएचडी तक सभी विषयों की पढ़ाई हो सकेगी। यह भारत का इकलौता ऐसा संस्थान होगा, जिसमें इस समाज के लोग उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। केंद्र सरकार ने भी मदद करने का आश्वासन दिया है।
मिश्र ने बताया कि 15 जनवरी से किन्नर समाज द्वारा पाले जा रहे दो बच्चों के प्रवेश के साथ प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। फरवरी-मार्च से कक्षाएं शुरू करने की तैयारी है।
इस अवसर पर देवरिया के सांसद डा. रमापतिराम त्रिपाठी कहा कि किन्नर को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए ऐसे शिक्षण संस्थान की स्थापना पुनीत कार्य है। इससे इस समाज के लोग अन्य व्यक्तियों की तरह शिक्षित होकर अपने समाज को नई दिशा दे सकेंगे। विशिष्ट अतिथि विधायक गंगा सिंह कुशवाहा ने कहा कि किन्नर विद्यालय की स्थापना होने से इस समाज के लोगों को भी पढ़ने-लिखने की बेहतर सुविधा मिल सकेगी।
2011 की जनगणना के अनुसार पूरे देश में 4.9 लाख किन्नर (थर्ड जेंडर) समुदाय के लोग हैं। थर्ड जेंडर की पहचान वाली कुल जनसंख्या का 66 प्रतिशत आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है। सबसे पहले नंबर पर 28 प्रतिशत थर्ड जेंडर आबादी के साथ उत्तर-प्रदेश है। यहां 1.37 लाख थर्ड जेंडर लोगों की पहचान की गई।
Published on:
25 Dec 2019 12:33 pm
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