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UP Politics: सुभासपा हो या निषाद पार्टी दोनों जाति के मुद्दे उठाकर मजबूत कर रहे अपनी सियासत, लोकसभा चुनाव में होगी अग्निपरीक्षा

UP Politics: एनडीए में शामिल होने के बाद ओम प्रकाश राजभर हर हाल में राजभर जाति को एसटी में शामिल कराना चाहते हैं। वहीं, संजय निषाद अपने समुदाय को आरक्षण दिलाने की बात करते हैं।

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लखनऊ

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Anand Shukla

Jul 23, 2023

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ओपी राजभर और संजय निषाद

UP Politics: अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं। इसे देखते हुए सभी राजनीतिक दल अपने हिसाब से गठबंधन कर रहे हैं। राष्ट्रीय पार्टी जातिगत वोटरों के आधारल पर क्षेत्रीय दलों को अपने साथ जोड़ रहे हैं। यूपी की दो राजनीतिक दल सुभासपा और निषाद पार्टी अपनी-अपनी जाति के हक से जुड़े मुद्दे उठाकर सियासत मजबूत करने में जुट गए हैं।

एनडीए में शामिल होने के बाद ओम प्रकाश राजभर हर हाल में राजभर जाति को एसटी में शामिल कराना चाहते हैं। वहीं, संजय निषाद अपने समुदाय को आरक्षण दिलाने की बात करते हैं। इसके लिए उन्होंने आरक्षण की मांग को तेज कर दिया है। इसके पीछे यह माना जा रहा है कि दोनों नेताओं इन मुद्दे के जरिए अपने समुदाय की बीच पकड़ रखने चाहते हैं।
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संजय निषाद और राजभर की अग्निपरीक्षा

पिछड़ों और दलितों के बीच देश की राजनीति इस समय पिछड़ों और दलितों के बीच घूम रही है। यही वजह है कि भाजपा-कांग्रेस जैसे पार्टी के अलावा सपा-बसपा में भी जातीय आधार वाली छोटी पार्टियों को अपने पाले में करने की होड़ मची है। छोटे दल भी अपनी अहमियत बढ़ाने के लिए ऐसे दलों का साथ गठबंधन करना पसंद कर रहे हैं। ऐसे में लोकसभा चुनाव में अपनी जातियों के वोटबैंक में हिस्सेदारी को लेकर संजय निषाद और राजभर की अग्निपरीक्षा भी है।

ओमप्रकाश राजभर, भर और राजभर जाति को एसटी में शामिल करने समेत जाति से जुड़े तमाम मुद्दों को पुरजोर तरीके से उठा रहे हैं। बीजेपी के किसी बड़े नेता के राजभर मिलने जाते हैं तो वह अपने मुद्दों पर को पूरी जोरदार तरीके के साथ उठाते हैं। वहीं, राज्य सरकार में मंत्री बनने वाले एनडीए के दूसरे घटक निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद ने भी मझवार और तुरैहा जाति को आरक्षण देने की मांग उठाना शुरू कर दिया है। इससे यही अंदाजा लगाया जा रहा है कि दोनों नेताओं पर भाजपा नेतृत्व से किए गए दावे के मुताबिक चुनाव में प्रदर्शन का दबाव है।

परिवार को आगे बढ़ाया
गौरतलब, जब भी दोनों नेताओं को मौका मिला तो इन्होंने अपने परिवार को ही तरजीह दी। संजय को मौका मिला तो उन्होंने खुद के सिंबल के बजाय बीजेपी के सिंबल पर अपने एक बेटे को सांसद तो दूसरे को विधायक बनवा लिया। इसी तरह 2017 में एनडीए के साथ रहे ओमप्रकाश राजभर भी सरकार में खुद मंत्री बने और बड़े बेटे को एक निगम का चेयरमैन बनवा लिया। अब लोकसभा चुनाव में भी दोनों दलों के कोटे की सीटों पर इनके बेटों के ही लड़ने की चर्चा तेज है।

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