
CM Yogi Decision: यूपी में आएदिन जमीनी विवादों को लेकर हो रही आपराधिक वारदातों पर अंकुश लगाने के लिए योगी सरकार ने अहम फैसला लिया है। उन्होंने तहसीलों में लंबित पड़े सभी जमीनी विवादों का जल्द से जल्द निपटारा करने के आदेश दिए हैं। इसके लिए कुछ नियमों में बदलाव किए गए हैं। इसको लेकर राजस्व परिषद के आयुक्त एवं सचिव एसबीएस रंगाराव ने जिलाधिकारियों को इस संबंध में विस्तृत निर्देश भेजा है।
इसमें कहा गया है कि राजस्व न्यायालयों में वाद, अपील, पुनरीक्षण अन्य कार्यवाही के लिए वाद और आवेदन दाखिल किए जाने के समय जरूरी तथ्यों को ध्यान में रखा जाएगा। राजस्व मुकदमों को अब अधिक दिन तक नहीं खींचा जा सकेगा। राजस्व वाद में स्थगन आदेश भी लंबे समय तक नहीं दिया जा सकेगा। स्थगन देते वक्त यह बताना होगा कि इसे क्यों दिया जा रहा है और कितने समय के लिए दिया जा रहा है। कैवियेट भी पूरे तर्कों के साथ दाखिल करना होगा। अड़ंगेबाजी वाले मामलों को खारिज किया जाएगा।
स्थगन आदेश असीमित अवधि के लिए नहीं दिया जाएगा। वादी द्वारा अपेक्षित कार्यवाही पूरी करने में उदासीनता बरतने पर इसे निरस्त कर दिया जाएगा। निर्देश दिए गए हैं कि बार-बार तारीख दिए जाने से राजस्व वादों के समयबद्ध निस्तारण में रुकावट पैदा होती है। तीन बार से अधिक तारीख देने के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया जाएगा। इससे अधिक तारीख देने के लिए उचित कारणों के साथ शपथ पत्र लिया जाएगा।
अड़ंगेबाजी वाले मामलों को खारिज किया जाएगा वाद की सुनवाई नहीं रोकी जाएगी। वाद को किसी अन्य न्यायालय में स्थानांतरित करने के लिए आने वाले प्रार्थना पत्र पर वाद की सुनवाई नहीं रोकी जाएगी। कुछ वादों में पक्षकरों द्वारा न्यायालय के स्थगन आदेश प्रस्तुत करते हुए कार्यवाही लंबे समय तक के लिए रुकवाने की कोशिश की जाती है। नॉट प्रेस किए जाने की विधिक स्थिति पर भी विचार करना होगा।
चकबंदी की कार्यवाही चलने या उसके न्यायालयों में चल रहे मामलों में आदेश पारित करने से पहले परीक्षण किया जाएगा कि उसका क्षेत्राधिकार है या नहीं। वादों को खारिज करते समय यह देखा जाएगा कि सभी पक्षों को नोटिस तामील हो गया है। अंतिम फैसला देते समय भी सभी तथ्यों को ध्यान में रखा जाएगा।
Updated on:
13 Feb 2024 09:02 am
Published on:
13 Feb 2024 09:01 am
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