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आज़म खान पर हाईकोर्ट ने उठाए सवाल, ले रहे ‘दोहरा लाभ’

शिया धर्म गुरु कल्बे जव्वाद के समर्थक इमाम राजा हुसैन ने आजम खान के खिलाफ याचिका दायर की है

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Kaushlendra Singh

Jul 15, 2015

Azam Khan

Azam Khan

लखनऊ। लाभ के दो पदों का लुत्फ उठा रहे उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री आजम खां के साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने नोटिस जारी किया है। शिया धर्म गुरु कल्बे जव्वाद के समर्थक इमाम राजा हुसैन ने आजम खान के खिलाफ याचिका दायर की है। इसमें उन्हें कैबिनेट मंत्री पद से हटाने की मांग के साथ ही बतौर विधायक उनका निर्वाचन भी अवैध घोषित करने की मांग की गई है। इस याचिका पर कोर्ट ने आजम खां तथा उत्तर प्रदेश सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कैबिनेट मंत्री आजम खां के लाभ के दो पदों पर होने की विचाराधीन जनहित याचिका पर चार सप्ताह में जवाब मांगा है। इस मामले में पीठ ने पहले भी जवाब मांगा था। कैबिनेट मंत्री आजम खां मंत्री पद पर रहते हुए जौहर विश्वविद्यालय के चांसलर भी हैं। इस याचिका में कहा गया है कि वह लाभ के दो पदों पर नहीं रह सकते हैं। न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति राकेश श्रीवास्तव की खण्डपीठ ने चार हफ्ते में राज्य सरकार सहित अन्य विपक्षी से जवाब मांगा है। अदालत ने आदेश अधिवक्ता अशोक पाण्डेय की दायर याचिका पर दिए हैं।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दाखिल याचिका आजम खान के लिए बड़ी समस्या खड़ी कर सकती है। इसके पहले भी कोर्ट ने 25 सितंबर को आजम खान को जवाब देने के लिए चार हफ्ते का समय दिया था। याची का कहना है कि न तो राज्य सरकार और न ही आजम ने अभी तक अपना जवाब पेश किया है। लिहाजा याचिका में कही गई बातों को सही मानकर कोर्ट ने निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने आजम को अपना जवाब पेश करने को आखिरी मौका दिया है।

दोहरा लाभ ले रहे हैं आजम

आजम खान यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। इसके साथ ही रामपुर की जौहर यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर के पद का काम भी सीधे तौर पर देख रहे हैँ। कानून किसी भी व्यक्ति को परोक्ष या अपरोक्ष रूप से एक साथ लाभ के दो पदों पर काबिज होने की इजाजत नहीं देता है। दाखिल याचिक अर्जी के मुताबिक यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर का पद लाभ के पद की श्रेणी में आता है। संविधान के अनुच्छेद 191 के तहत लाभ के एक पद पर रहते हुए कोई भी व्यक्ति विधायक निर्वाचित नहीं हो सकता। ऐसे में वाइस चांसलर रहते हुए आजम खान संवैधानिक तौर पर मंत्री पद के लिए भी अयोग्य हो जाते हैं। याचिका में मांग की गई है कि आजम खां के चुनाव को अवैध घोषित कर दिया जाए। उन्होंने लाभ के पद पर रहते हुए विधायक का चुनाव जीता, जो हर तरह से गलत है।

खुद को लाइफटाइम वाइस चांसलर किया था घोषित

जौहर यूनिवर्सिटी नींव रखने के समय से ही सुर्खियों में बनी हुई है। 2006 में आजम खान यूनिवर्सिटी के आजीवन वाइस चांसलर बने थे। कानून यह लाभ का पद है।

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