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राजस्थान के नेताओं का अखाड़ा बना यूपी, भाजपा कई खेमों में बंटी

एक-दूसरे से बढ़त लेने की कोशिश में भाजपा नेता, आरएसएस ने राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री को भी यूपी में तैनात किया

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Kaushlendra Singh

Jul 21, 2015

BJP UP

BJP UP

- राघवेन्द्र प्रताप सिंह

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भाजपा को 2017 में फतह कराने आए राजस्थान के दो नेताओं की आपसी राजनीतिक तकरार का खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ रहा है। दोनों नेता पार्टी की जीत की रणनीति लागू करने की बजाए एक दूसरे की काट निकालने में अपनी ऊर्जा खपा रहे हैं। इसका असर भी सामने आने लगा है। एक तरफ भाजयुमो दो भागों में बंट गया है तो प्रदेश भाजपा में भी गुटबाजी बढ़ गई है। लाभ-हानि की गणना करके स्थानीय नेता दोनों में से किसी एक गुट में शामिल हो रहे हैं, जिसका नुकसान यूपी में भाजपा को ही उठाना पड़ सकता है।

यूपी की गुटबाजी से चिंतित है संघ

दरअसल, यूपी भाजपा के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर तथा महामंत्री संगठन सुनील बंसल के सांगठनिक कौशल का लाभ यूपी को नहीं मिल पा रहा है। उनकी राजनीतिक तकरार यूपी में भाजपा को अंदर से खोखला कर रही है। प्रदेश भाजपा की गुटबाजी से चिंतित राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ और भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने इस समस्या से निजात पाने के लिए राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश को दिल्ली से हटाकर लखनऊ बैठा दिया है। सख्त मिजाज के शिव प्रकाश पश्चिमी यूपी और उत्तराखंड की परिस्थितियों से भलिभांति परिचित हैं। उन पर यूपी भाजपा के भीतर की गुटबाजी को खत्म कराने का जिम्मा है।

यूपी में भाजपा को मजबूत बनाने में लगा है केन्द्रीय नेतृत्व

मोदी-शाह की मंशा के अनुरूप यूपी में भाजपा को सत्ता में लाने तथा संगठन को मजबूत करने में शिव प्रकाश की भूमिका अत्यंत महत्पूर्ण हो गई है। अमित शाह ने कानपुर में संदेश दिया था कि केंद्र में अगर लंबे समय तक सरकार चलानी है तो यूपी में भाजपा को मजबूत बनाना होगा। यूपी में पार्टी की सरकार बनाए बिना केंद्र की राजनीति मुश्किल होगी। यूपी फतह की आक्रामक रणनीति के तहत अमित शाह ने पहले पांच सह प्रभारियों की नियुक्ति की। सह प्रभारियों की नियुक्ति पंचायत चुनाव से पहले इसलिए की गई है ताकि पंचायत चुनाव में भाजपा पूरे दमखम और आक्रामक तरीके से मैदान में उतरे और 2017 में विधानसभा चुनाव जीत सकने वाले प्रत्याशियों की खोज की जा सके। राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश को लखनऊ भेजकर गुटबाजी के साथ पार्टी की रणनीतियों को लागू कराए जाने की जि मेदारी सौंपी है।

वरिष्ठ नेता बैरक में बैठे

गुटबाजी का आलम यह है कि प्रदेश भी अपने केन्द्रीय नेताओं का अनुशरण करते हुए जिले से लेकर प्रदेश तक के वरिष्ठ नेताओं को बैरक में बैठा रखा है। इन वरिष्ठ में पूर्व मंत्री लाल जी टंडन, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी, सूर्य प्रताप शाही, ओम प्रकाश सिंह, पूर्व राष्ट्रीय मंत्री विनोद पांडेय, पूर्व मंत्री बालेश्वर त्यागी, विधान परिषद के पूर्व नेता विंध्वासनी कुमार, पूर्व विधान परिषद सदस्य जय प्रकाश चतुर्वेदी, पूर्व मंत्री ब्रिजेश शर्मा, अनिल तिवारी, पूर्व सांसद अष्टभुजा शुक्ला, पूर्व महामंत्री राम नरेश अग्रिहोत्री, पूर्व मंत्री प्रेम लता कटियार जैसे वरिष्ठ नेताओं को हाशिये पर डाल दिया गया है।

सब कुछ ठीक नहीं है

इधर, प्रदेश प्रभारी ओम माथुर व प्रदेश संगठन मंत्री सुनील बंसल और प्रदेश अध्यक्ष के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। खासकर सुनील बंसल की कार्यप्रणाली से भाजयुमो में कई खेमे बन गए हैं। सुनील बंसल एवं भाजयुमो प्रभारी व प्रदेश मंत्री दयाशंकर सिंह की जुगलबंदी ने भाजयुमो को दो खेमे में बांट दिया है और ये खेमे पार्टी के हित में काम करने की बजाय एक दूसरे को निपटाने में पूरी ऊर्जा खपा रहे हैं। अब देखना है कि शिव प्रकाश इस गुटबाजी पर कैसे लगाम लगाते हैं।

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