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कोरोना को हराना है तो यह सोच है बेहद कारगर, 450 परिवारों ने सोसाइटी कैंपस में बनाया मेडिकल रूम

मिनी मेडिकल हॉस्पिटल ने कोरोना को हरा दिया। और उनकी इस सोच ने तमाम चेहरों पर जहां मुस्कान लाई वहीं दूसरों को भी एकजुटता का रास्ता दिखाया।

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कोरोना को हराना है तो यह सोच है बेहद कारगर, 450 परिवारों ने सोसाइटी कैंपस में बनाया मेडिकल रूम

कोरोना को हराना है तो यह सोच है बेहद कारगर, 450 परिवारों ने सोसाइटी कैंपस में बनाया मेडिकल रूम

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

लखनऊ. कोरोना का बेलागम कहर तो इस वक्त जानलेवा हो गया है। पर गोमती नगर विस्तार की एक निजी सोसाइटी में रहने वाले करीब 450 परिवारों ने आपसी समझ और एकजुटता के साथ कोरोना का जमकर मुकाबला किया। सोसाइटी में करीब 75 लोग कोरोना संक्रमित हुए पर उन्हें अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ी। सोसाइटी में आपसी सहयोग से खोले गए मिनी मेडिकल हॉस्पिटल ने कोरोना को हरा दिया। और उनकी इस सोच ने तमाम चेहरों पर जहां मुस्कान लाई वहीं दूसरों को भी एकजुटता का रास्ता दिखाया।

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एकजुटता ने पेश किया एक उदाहरण :- यूपी में जिस तरह से कोरोना अपना कहर बरपा रहा है। और तमाम इंतजाम फेल होते जा रहे हैं। अस्पतालों में बेड़ मिलना लोहे के चने चबाने से भी कठिन् कार्य है। ऐसे वक्त गोमती नगर विस्तार में स्थित एक निजी सोसाइटी MI RUSTLE कोर्ट के करीब 450 परिवारों ने जो काम किया वह आपसी समझ और एकजुटता बड़ा उदाहरण है। आज के शहरी जीवन में यह सोच बहुत कारगर है। सोसाइटी के सभी लोगों ने मिलकर एक नई शुरुआत की। अपने कैम्पस में ही मिनी मेडिकल हॉस्पिटल बना डाला। जहां डाक्टर साहब दवा लिख रहे हैं। इमरजेंसी में ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम है। व्हीलचेयर, स्ट्रेचर भी है। सब जरुरत का सामान इस अस्पताल में हाजिर है जो किसी भी कोरोना संक्रमित को जरुरत पड़ सकती है।

दर्द से पैदा हुई सोच :- इस सोच का जन्म इस सोसाइटी के निवासी अंशु मिश्रा की वजह से हुआ। अंशु मिश्रा का पूरा परिवार कोरोना पॉजिटिव हो गया। कौन उनकी मदद करेगा बस इस सोच ने सोसाइटी में रहने वाले करीब 450 परिवारों को जोड़ा और MI Happiness and Help (1 Team 1 Dream) एक ग्रुप बनाया गया। मतलब साफ है कि 'साथ रहें तो हरा देंगे कोरोना' को और यह मंत्र खूब कामयाब हुआ।

सोच अच्छी थी काम भी बन गए :- सोच अच्छी थी तो ईश्वर भी मदद को आगे आया। जैसे ही ग्रुप ने अपना कदम आगे बढ़ाया तो पता चला कि इस सोसाइटी में चार डाक्टर रहते हैंं। इस जानकारी के बाद तो जैसे सबके चेहरे खिल उठे, सबसे बड़ी समस्या का निदान तो घर पर ही हो गया। डाक्टर मिल गए। बस फिर क्या था कोरोना संक्रमितों का इलाज शुरू हो गया। सोसाइटी के गेट पर ही मेडिकल रूम बना लिया गया। जिसमें सभी सुविधाएं उपलब्ध करा दी गई। पूरी सोसाइटी कोरोना से मुकाबले को तैयार हो गई।

75 लोग कोरोना संक्रमित हुए पर अस्प्ताल नहीं गए :- अब कोविड प्रोटोकाल का पालन होता है। डॉक्टरों ने बारी—बारी से ड्यूटी लगा ली। इस मेडिकल रूम का असर यह हुआ कि सोसाइटी में करीब 75 लोग कोरोना संक्रमित हुए पर किसी को अस्पताल जाने की जरुरत नहीं पड़ी।

एकजुटता ने बचा रही है जिंदगियां :- इस वक्त 7 डॉक्टर चिकित्सीय सलाह दे रहे हैं। टीम घर पर दवा पहुंचाती है। अकेले रहने वाले बुजुर्गों का भरपूर ख्याल रखती है। इमेरजेंसी में जिला प्रशासन की मदद से अस्पताल में भर्ती कराने की व्यवस्था की गई है। कोविड संक्रमित को घर जैसा शुद्ध सात्विक खाना भी दिया जाता है। सिर्फ एक सोच और लोगों की एकजुटता तमाम लोगों की जिंदगी बचाने का काम कर रही है।