लखनऊ। सीएमआरएस की ओर से चार दिन के इंस्पेक्शन के बाद
मेट्रो की मौजूदा रफ़्तार के चलते एनओसी लेने अभी कुछ और समय लगेगा। दरअसल
पिछेल ट्रायल में लखनऊ मेट्रो अपनी पूरी रफ़्तार से नहीं दौड़ सकी।
इंस्पेक्शन
के दौरान लखनऊ मेट्रो पूरी स्पीड से नहीं दौड़ सकेगी। मेट्रो की टॉप स्पीड
80 किलोमीटर प्रति घंटा की क्रॉस ओवर स्पीड से नहीं दौड़ सकी जिसके चलते
सीएमआरएस की टीम टॉप स्पीड पर सेफ्टी चेक नहीं कर सकी। लखनऊ मेट्रो
स्टेशनों के बीच 70 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार से ही दौड़ सकी। यही
कारण है कि अब एनओसी से पहले सीएमआरएस इस विषय पर मंथन करेगा।
हालांकि
मेट्रो अधिकारियों का तर्क है कि स्टेशन की दूरी काफी कम है, इसलिए वे 80
किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार पर नहीं पहुँच पायी। उनका कहना है कि अधिकतर
स्टेशन 1 किलोमीटर की दूरी ही है। दुर्गापुरी से चारबाग तक की दूरी तो और
ही कम कुल 850 मीटर ही है। इसके चलते मेट्रो फुल स्पीड पर नहीं दौड़ सकी।
लखनऊ मेट्रो के सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग में कुछ स्टेशन को मिस करने का
ऑप्शन है लेकिन मौके पर वो चल नहीं पाया।
सूत्र बताते हैं कि
सीएमआरएस ने लखनऊ मेट्रो रेल कारपोरेशन को ट्रेन की प्रोग्रामिंग में
संशोधित करने के लिए कहा है। इसमें कुछ मेट्रो स्किप करना भी पड़ सकता है।
तभी मेट्रो 8.5 किमी वाले प्रायोरिटी फेज पर 80 किमी / घंटा की स्पीड से
दौड़ सकेगी। 80 किलोमीटर की स्पीड पर ब्रेकिंग के साथ एनओसी के लिए ट्रैक
को टेस्ट करना ज़रूरी है इसलिए मेट्रो को अपनी प्रोग्रामिंग में बदलाव करना
होगा। ये बदलाव टेस्टिंग के बाद वापस पहले जैसा ही कर दिया जाएगा।