लखनऊ। केंद्र की ओर से लखनऊ मेट्रो का सेफ्टी ऑडिट करने आयी टीम ने लखनऊ मेट्रो के रन को बारीकी से मॉनिटर किया। सुबह 9 30 बजे ट्रायल शुरू हुआ। आम तौर पर ट्रांसपोर्ट नगर से चारबाग मेट्रो का सफर लगभग 30 मिनट का है लेकिन सेफ्टी ट्रायल के दौरान इसे 1 घंटे से भी अधिक समय लगा। दरअसल कमिश्नर ऑफ़ रेलवे सिक्योरिटी द्वारा की जा रही जांच के चलते ये अतिरिक्त समय लगा। चलती मेट्रो को अचानक रोकने के आदेश देकर इमरजेंसी ब्रैकिंग सिस्टम परखा गया। इमरजेंसी की स्थिति में मेट्रो से यात्री कैसे निकलेंगे इसको भी देखा गया। मेट्रो सिग्नलिंग की फंक्शनिंग पर भी ध्यान दिया गया। इस दौरान मेट्रो अपनी पूरी स्पीड 70 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ़्तार से भी दौड़ी। स्पेशल स्पैन पर ब्रैकिंग और आती बार अक्सेलरेटिंग टेस्ट किया गया। एंटी कोलाइडिंग सिस्टम के बारे में भी केंद्रीय अधिकारियों ने जानकारी ली।
चार दिन तक चले सेफ्टी ट्रायल के बाद अब उम्मीद है कि जल्द ही लखनऊ मेट्रो के कमर्शियल रन की तारीख पता चल सकेगी।
चार दिन में लखनऊ मेट्रो का बारीकी से परीक्षण हुआ। मेट्रो स्टेशन पर सुरक्षा व्यवस्था, टोकन व्यवस्था, मेट्रो ट्रेन, कण्ट्रोल सेण्टर,
अदि का निरक्षण हुआ।
ट्रैक पर मेट्रो दौड़ने से पहले ट्राली पर बैठ कर कमिश्नर ऑफ़ रेलवे सिक्योरिटी की टीम ने गैंग पुलिंग और इमरजेंसी ब्रेकिंग का परिक्षण किया था। साथ ही इस व्यवस्था को भी देखा गया कि अगर ट्रैक पर मेट्रो खराब हो जाती है या कोई अन्य हादसा हो जाता है तो मेट्रो ट्रैक से कैसे हटाई जाएगी।
मेट्रो ट्रैक के निरक्षण के अलावा स्टेशनों पर टोकन काउंटर, सिक्योरिटी सिस्टम, दिव्यांगों के लिए विशेष व्यवस्था आदि सुविधाओं का मुआयना किया। हरी झंडी देने के लिए हो रहा परिक्षण इस सब के चलते एक दिन अतिरक्त होगा।
केंद्र से आए अधिकारी अब केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। पॉजिटिव होने के बाद लखनऊ मेट्रो को हरी झंडी मिल सकती है। अगर सब कुछ सही रहा तो अगस्त या सितंबर की शुरुआत तक लखनऊ वासी इसमें सफर कर सकेंगे।
सिंगार नगर स्टेशन को एनओसी न मिलना बड़ा विषय ! एक बड़ा विषय यह भी आ रहा है कि सिंगार नगर मेट्रो स्टेशन को अभी तक फायर एनओसी नहीं मिली है। साथ ही मेट्रो अधिकारी का कहना है की सभी 8 स्टेशनों को एनओसी मिल चुकी है जबकि फायर डिपार्टमेंट के स्वर इससे अलग हैं।