लखनऊ। कांग्रेस
मुख्यालय के मालिकाना हक को लेकर पल्ला व्यापारी मनीष अग्रवाल का भारी लग
रहा है। 5 दिन बाद नगर निगम के रिकॉर्ड रूम से खंगाली गई फाइल में
कांग्रेस के पक्ष का कोई साक्ष्य
नहीं मिला। इसके चलते नगर निगम ने मोहसिना किदवई के नाम कांग्रेस को
नोटिस इशू कर दिया है। नोटिस में एक हफ्ते का समय देते हुए कांग्रेस को
अपने सभी साक्ष्य निगम कार्यालय में पेश करने के लिए कहा गया है।
1986 में आखिर रामस्वरूम अग्रवाल और पद्मावती अग्रवाल के साथ मोहसिना किदवई का नाम कैसे जुड़ गया इस सवाल का जवाब अब भी नहीं मिला है। इसी सवाल का जवाब जानने के लिए नगर निगम ने कांग्रेस को अपने दस्तावेज़ पेश करने के लिए नोटिस दिया है।
कारोबारी ने पेश किये दस्तावेज किया म्युटेशन का आवेदन
जो दस्तावेज मनीष अग्रवाल ने नगर
निगम में पेश किए हैं उसके मुताबिक यह जमीन 1961 में 1.75 हज़ार रुपए में रामस्वरूप अग्रवाल के नाम की गई थी। 1976 से मौजूद दस्तावेजों में रामस्वरूप अग्रवाल और उनके चचेरे भाई की पत्नी
पद्मावती अग्रवाल के नाम पर दर्ज है।1986 में अचानक रामस्वरूप और
पद्मावती के साथ केयर ऑफ मोहसिना किदवई (तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष) का नाम जुड़ गया। मनीष ने आरोप लगाया कि फ़र्ज़ी तरीके से ये प्रक्रिया की गयी इसलिए इसे दुरस्त किया जाए।
कांग्रेस ने आनन फानन में बुलाई गोपनीय बैठक
उधर
कांग्रेस कार्यालय में नोटिस मिलते ही प्रदेश
अध्यक्ष राजबब्बर ने कांग्रेस के लीगल डिपार्टमेंट के साथ गोपनीय बैठक
बुलाई। सुबह राहुल गाँधी के दौरे के बाद प्रदेश कार्यालय में कांग्रेस
पदाधिकारी बैठे चर्चा कर रहे थे। नोटिस आते ही राजब्बर ने सभी को बाहर जाने
को कहा और लीगल डिपार्टमेंट से वार्ता करने लगे। बैठक में लीगल
डिपार्टमेंट के दो वकील
मौजूद रहे। सूत्रों ने बताया करीब एक घंटा चली इस बैठक में इस मुद्दे से
कैसे निपटा जाए इसको लेकर चर्चा होती रही। कांग्रेस का कहना है कि समय रहते
साक्ष्य पेश किये जाएंगे।