लखनऊ। स्वछता सर्वेक्षण में 269 स्थान पर आने के बाद सीएम योगी
से लेकर प्रमुख सचिव ने नाराज़गी व्यक्त की थी। इसको देखते हुए स्वच्छता
सर्वेक्षण 2018 को लेकर निगम ने अपनी कमर अभी से कस ली है। निगम ने इस दिशा
में तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। सर्वेक्षण में लखनऊ का नाम टॉप 10 में
शामिल हो सके, इसके लिए अधिकारियों को अलग-अलग जिम्मेदारियां भी दी गई हैं।
ये लक्ष्य तो बड़ा है लेकिन कम्पटीशन भी टफ है। पिछेल सर्वेक्षण में 500
शहर का आंकलन किया गया था जबकि इस बार लगभग 4 हज़ार शहर शामिल होंगे। पिछले
सर्वेक्षण में प्रयोग हुई स्कोर शीट का पैटर्न भी जारी किया गया है। ऐसा
इसलिए किया गया जिससे यह पता लग सके कि सर्वेक्षण में किस मद में कितने अंक
मिलने हैं। इसी के आधार पर ही अधिकारी अपना होमवर्क करेंगे।
इन अधिकारियों को मिली जिम्मेदारी
नगर
स्वास्थ्य अधिकारी, मुख्य अभियंता (सिविल), मुख्य अभियंता
(आर.आर.),पर्यावरण अभियंता, समस्त जोनल अधिकारी,समस्त नगर अभियंता,समस्त
सफाई एवं खाद्य निरीक्षक,प्रतिनिधि मे. ईकोग्रीन एनर्जी प्रा.लि. और आईटी
कम एमएंडई स्पेश्लिस्ट।
प्रमुख सचिव ने दिए थे निर्देश
प्रमुख
सचिव नगर विकास विभाग मनोज कुमार सिंह ने 25 जुलाई को नगर निगम मुख्यालय
में बैठक की थी। उस दौरान 2017 के स्वच्छ सर्वेक्षण की रैंकिंग में लखनऊ के
269 वें स्थान पर आने पर नाराज़गी ज़ाहिर की थी। उन्होंने बैठक में निर्देश
दिए थे कि स्वच्छता रैंकिंग में जितने भी मद हैं, उन सभी मद में सुधार
किया जाए। लखनऊ को स्वच्छता रैंकिंग-2018 में टॉप 10 शहरों में स्थान
प्राप्त कराना है और इसके लिए हम सब को मेहनत करनी होगी।
2 हजार अंकों का सर्वेक्षण
हालाँकि
पिछले स्वच्छता सर्वेक्षण कुल 2 हजार अंकों का था। इसमें 900 अंक सॉलिड
वेस्ट मैनेजमेंट के तहत झाड़ू, कूड़ा एकत्रीकरण, खुले में शौच से मुक्त,
क्षमता संवर्धन इत्यादि बिन्दुओं पर दिये गए थे। 500 अंक डायरेक्ट
ऑब्जर्वेशन थे जो टीम द्वारा लाइव पिक्स भेजने के बाद हुआ और 600 सिटीजन
फीडबैक के थे। बताया जा रहा है 2018 के सर्वेक्षण कुछ मार्किंग अलग हो सकती
है।