
अनलॉक से साथ ही बढ़ रहा प्रदूषण, प्रदेश में अव्वल तो देशभर में तीसरे स्थान पर राजधानी लखनऊ
लखनऊ. एक ओर कोविड-19 के आंकड़े बढ़ रहे हैं, तो दूसरी ओर वायु प्रदूषण (Air Pollution) के आंकड़े भी बेहद खराब स्तर पर पहुंच रहे हैं। आलम ये है कि लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में जहां शहरों का एक्यूआई इंडेक्स 'गुड' और 'सैटिसफैक्ट्री' कंडीशन में था, वह अब वापस अपने पुराने दिनों में जा रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, राजधानी लखनऊ प्रदेश का सबसे प्रदूषित शहर हैं। वहीं, देशभर में इसे तीसरा स्थान प्राप्त है। 30 सितंबर को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन के आंकड़ों के मुताबिक लखनऊ का एक्यूआई 242 स्तर पर पहुंच गया। जबकि, गुरुवार को यह आंकड़ा बढ़कर 249 हो गया। हवा में अति सूक्ष्म कणों की मात्रा अधिक घुली रही और वायु गुणवत्ता मध्यम स्थिति में रही।
बुधवार के एक्यूआई आंकड़े
1, चरखी दादरी (हरियाणा), 305
2, भिवाड़ी, 255
3, लखनऊ, 242
4, वाराणसी, 236
5, बल्लभगढ़, 210
6, धौरेरा (हरियाणा), 209
7, गाजियाबाद, 202
8, आगरा, 192
वायु प्रदूषण से परेशानी
कोरोना संक्रमित मरीजों पर असर
वायु प्रदूषण कोरोना संक्रमित मरीजों पर घआतक असर डाल सकता है। एक शोध में इस बात का दावा किया गया है। वातावरण में पीएम 2.5 कणों की मात्रा में थोड़ी सी भी वृद्धि कोरोना से होने वाली मौतों की रफ्तार बढ़ा सकती है। पीएम 2.5 बहुत ही बारीक कण होते हैं, जो सांसों के जरिये हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं। हवा में पीएम 2.5 का स्तर बढ़ने से लोग बीमार हो सकते हैं। कोरोना संक्रमित मरीजों की परेशानी इससे बढ़ सकती है।
फेफड़ों पर असर
वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर फेफड़ों पर पड़ता है। वायु प्रदूषण वातावरण की हवा को प्रभावित करती है। इसी कारण जब लोग सांस लेते हैं, तो उनके शरीर में खराब हवा जाती है, जिसकी वजह से उनके फेफड़े खराब हो जाते हैं।
किडनी की बीमारी
ऐसे बहुत सारे मामले सामने आते हैं, जिनमें किडनी की बीमारी वायु प्रदूषण से हो जाती है। हालांकि, किडनी की बीमारी का इलाज किडनी डायलिसिस से संभव है, मगर काफी देर होने पर किडनी खराब भी हो सकती हैं, जिनका इलाज केवल किडनी ट्रांसप्लांट के द्वारा ही किया जा सकता है।
आंखों पर असर
आंख की ओकुलर सतह वातावरण के सीधे संपर्क आती है, इसलिए यह वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित होती है। कई सालों तक प्रदूषण के संपर्क में रहने के कारण कॉर्निया को क्षति पहुंचती है, यह तुरंत नहीं होता है। अगर ड्राई आई की समस्या लंबे समय तक रहती है, तो यह भी कॉर्निया को क्षतिग्रस्त कर सकती है, जिससे लंबे समय में दृष्टि प्रभावित होती है। खुजली होने पर आंखों को रगड़ने से भी कॉर्निया पर असर पड़ता है।
Published on:
01 Oct 2020 01:56 pm
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