टोक्यो ओलंपिक 2021 : पीलीभीत के सिमरनजीत ने बनाई भारतीय हॉकी टीम की जीत की राह आसान ललित के पिता बोले-बेटा जुझारू वाराणसी में ललित के गांव में जश्न का माहौल है। मिठाइयां बांटी जा रही हैं। ललित के पिता सतीश ने जीत को बाबा का आशीर्वाद बताते हैं। वह कहते हैं मुझे अपने बेटे पर भरोसा था। वह बचपन से ही जुझारू रहा है। लक्ष्य से नहीं भटकता और जो ठानता है कर दिखाता है।
ललित वाराणसी के शिवपुर क्षेत्र के गांव भगतापुर के एक अति मध्यम परिवार से हैं। इनके पिता सतीश ने छोटी सी कपड़े की दुकान चलाकर बेटे के सपनों को जिंदा रखा। दो भाइयों में सबसे छोटे हैं ललित भारत पेट्रोलियम में अफसर हैं। बड़ा भाई भी हॉकी प्लेयर है। यूपी कॉलेज में साई के कोच परमानंद मिश्रा ने ललित को हॉकी का ककहरा सिखाया। उनका चयन 2018 में राष्ट्रीय हॉकी टीम में हुआ। ललित अब तक 200 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय मैच और कॉमनवेल्थ, एशियन व वल्र्ड चैंपियनशिप में अपने जौहर दिखा चुके हैं।
सिमरन के घर भांगड़ा पीलीभीत में सिमरनजीत के घर भंगड़ा हो रहा है। लोग खुशियां मना रहे हैं। सिमरनजीत सिंह के पिता इकबाल सिंह कहते हैं यह देशवासियों की दुआओं का असर है। इकबाल ने बताया सिमरनजीत जुझारू है। उसने 17वें मिनट और 34वें मिनट गोल किया। सिमरनजीत यूं तो मूलत: पंजाब के बटाला के हैं, पर अब उनका परिवार यूपी के पीलीभीत में रहता है।
… और इतिहास और बन गया: सीएम योगी हाकी में जीत पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा-आज की सफलता ने भारतीय हॉकी के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय को जोड़ा है। ‘टीम इंडिया’ की इस अविस्मरणीय उपलब्धि पर पूरे देश को गर्व है। हार्दिक बधाई ‘टीम इंडिया’। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने भी जीत पर शुभकामनाएं दीं हैं।
क्या कहते हैं ओलंपियन :- हॉकी की नई पौध की मिलेगी ताकत: दानिश मुज्तबा यह हॉकी के गोल्डन एरा की फिर से शुरुआत है। अब हॉकी फिर से देश के गली-कूंचों तक दिखाई देगी। इससे हॉकी की नई पौध को ताकत मिलेगी। अब हॉकी के रहनुमाओं को चाहिए कि वे हॉकी की तरक्की के लिए काम करें और इस दिशा में गंभीरता से सोचें।
-दानिश मुज्तबा, हॉकी ओलंपियन (लंदन व रियो ओलंपिक खेल चुके)
लड़कों अपना काम किया, अब ऑफिशियल की बारी: सुजीत चार दशक बाद हॉकी का स्वर्णिम दिन लौटा। हमारे लड़कों ने अपना काम बखूबी किया। अब हॉकी ऑफिशियल की बारी है। सरकार अगले 20 से 25 सालों की लिए योजना बनाएं। हॉकी की उभरती प्रतिभाओं को परखे। उन्हें जॉब सिक्योरिटी प्रदान करे। 200 नहीं 2000 प्लेयर्स की स्ट्रेंथ की सोचे। राज्य सरकारें खिलाडिय़ों को प्रोत्साहित करने वाली योजनाएं घोषित करें। तभी हॉकी का भला होगा। तभी लोग अपने बच्चों को हॉकी के प्रति प्रेरित कर सकेंगे।
-सुजीत कुमार, हॉकी ओलंपियन, लक्ष्मण एवार्डी और पूर्व कप्तान