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आइवीएफ अस्पताल संचालकों के साथ भी गृहणियां भी सीख रहीं गर्भ संस्कार

बीएचयू के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय ने भी शुरू किया कोर्स

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लखनऊ

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Hariom Dwivedi

Jan 12, 2021

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लखनऊ विश्वविद्यालय के महिला अध्ययन संस्थान में पीजी डिप्लोमा इन गर्भ संस्कार का पाठ्यक्रम शुरू हो गया है

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की तरह अब लखनऊ यूनिविर्सिटी में भी गर्भ संस्कार सिखाया जा रहा है। लखनऊ विश्वविद्यालय के महिला अध्ययन संस्थान में पीजी डिप्लोमा इन गर्भ संस्कार का पाठ्यक्रम शुरू हो गया है। सोमवार से इसकी क्लासेस भी शुरू हो गई हैं। इस पाठ्यक्रम में आईवीएफ सेंटर संचालकों और रिटायर्ड स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के साथ ही स्नातक, परास्नातक, शोध छात्र-छात्राओं के अलावा गृहणियां भी भाग ले रही हैं। गर्भ संस्कार कोर्स में सिखाया जा रहा है कि गर्भवती महिलाओं को किसी तरह से संस्कार थेरेपी की जाये, ताकि शिशु अभिमन्यु की तरह मां के पेट से ही संस्कार सीख कर आये। सभी को आध्यात्मिक, संगीत थेरेपी, वेद थेरेपी, ध्यान थेरेपी और पूजापाठ थेरेपी आदि के बारे में भी बताया जाएगा।

लखनऊ विश्वविद्यालय में शुरू हुए गर्भ संस्कार की पहली कक्षा में क्वीन मैरी केजीएमयू की डॉ. अमिता पांडेय एवं आध्यात्मिक काउंसलर डॉ. शिवानी मिश्रा ने गर्भ संस्कार कोर्स की महत्ता एवं समाज में इसकी आवश्यकता पर व्याख्यान दिया। गर्भ संस्कार कोर्स एक वर्ष (दो सेमेस्टर) का है, जिसमें कुल 5 थ्योरेटिकल पेपर और एक इंटर्नशिप होगी। यह जानकारी एलयू के महिला अध्ययन संस्थान की को-ऑर्डिनेटर डॉ. अर्चना शुक्ला ने दी। लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश श्रीवास्तव ने बताया कि उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की प्रेरणा और कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय के सहयोग एवं प्रोत्साहन से विवि में यह कोर्स शुरू हुआ है।

अगले सप्ताह से एलयू में मैनेजमेंट कंसल्टेंसी क्लीनिक
लविवि में अगले सप्ताह से मैनेजमेंट कंसल्टेंसी क्लीनिक शुरू होने जा रही है। क्लीनिक में आने वाली समस्याओं का समाधान विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों की टीम और छात्र मिलकर देंगे। कंसल्टेंसी की फीस 500 रुपये निर्धारित की गई है। एलयू के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने बताया कि इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, विधि, रसायन विज्ञान जैसे विभागों के विद्यार्थी इससे जुड़ सकेंगे। इसके अलावा सरकारी व प्राइवेट संस्थायें या फिर कोई भी एनजीओ या संस्था इसके लिए पंजीकरण करा सकता है। संस्थान की मांग पर उनकी अलग से उनकी समस्या पर स्टडी भी कराई जा सकती है।

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