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यूपी भी गजब है.. मंत्री थे विभाग था नहीं थे कर्मचारी

-यूपी में 35 साल बाद धार्मिक कार्यों के संचालन लिए निदेशालय-काशी में होगा धर्मार्थ कार्य विभाग निदेशालय, गाजियाबाद में उप-कार्यालय-अयोध्या में भजन संन्ध्या का प्रबंधन और सभी पौराणिक स्थलों का करेगा प्रबंधन-धर्म की राह में एक कदम और आगे बढ़ी योगी सरकार-प्रदेश के सभी धार्मिक स्थलों के पंजीकरण और रेगुलेशन लिए बनेगा कानून

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यूपी भी गजब है.. मंत्री थे विभाग था नहीं थे कर्मचारी

यूपी भी गजब है.. मंत्री थे विभाग था नहीं थे कर्मचारी

पत्रिका एक्सप्लेनर

महेंद्र प्रताप सिंह

लखनऊ. यूपी भी गजब है। यहां पिछले 35 साल से हर सरकार में धर्माथ कार्य मंत्री की नियुक्ति होती रही है। 1985 से धर्माथ कार्य विभाग भी अस्तित्व में था। लेकिन, इस विभाग में न तो निदेशक थे, नहीं काम करने वाले वाले कर्मचारी। योगी आदित्यनाथ सरकार ने लंबे समय बाद अब धार्मिक स्थलों की देख-रेख के लिए धर्मार्थ कार्य निदेशालय बनाने का एलान किया है। इसका मुख्यालय वाराणसी में बाबा विश्वनाथ मंदिर प्रागंण में होगा जबकि, उप कार्यालय गाजियाबाद में मानसरोवर भवन में खुलेगा।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश को आधार बनाकर योगी आदित्यनाथ सरकार ने धर्म की राह में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए धर्मार्थ कार्य निदेशालय बनाने का निर्णय लिया है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में श्रद्धालुओं की सुविधा और धर्म स्थलों के रखरखाव आदि की व्यवस्था के लिए निर्देश दिए थे। माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार अब इसके बाद राज्य के सभी धार्मिक स्थलों के पंजीकरण एवं रेगुलेशन के लिए जल्द कानून ला सकती है। इसके लिए दूसरे राज्यों के कानूनों और प्रस्तावों का अध्ययन किया जा रहा है।

क्यों पड़ी जरूरत :- अभी तक धार्मिक कार्यों के रेगुलेशन के लिए कोई एक संस्था नहीं होने की वजह से धर्मार्थ कार्य विभाग की योजनाओं और इससे जुड़े प्रोजेक्ट्स के संचालन में प्रशासन को दिक्कतें आ रही थीं। इसीलिए कैबिनेट की बैठक में निदेशालय गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। निदेशालय की प्राथमिकता काशी विश्वनाथ मंदिर का संचालन और प्रबंधन होगी। इसके अलावा गाजियाबाद में कैलाश मानसरोवर भवन का प्रबंधन किया जाएगा। अयोध्या में भजन संध्या का प्रबंधन और प्रदेश के सभी पौराणिक स्थलों का प्रबंधन भी इस निदेशालय का प्रमुख काम होगा।

तीन साल में हुए अनेक कार्य :- यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार के गठन के बाद बीते साढ़े तीन साल में धार्मिक स्थलों को विशेष पहचान दिलाने के साथ-साथ श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बहुत कार्य हुए हैं। काशी, अयोध्या, मथुरा-वृंदावन, विंध्याचल धाम सहित अन्य तीर्थ स्थानों पर श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए कार्य किए जा रहे हैं। इन धार्मिक स्थलों के विकास के लिए विशेष बोर्ड भी बनाए गए हैं।

कितने अफसर, कितने कर्मचारी:- धर्मार्थ कार्य निदेशालय में एक निदेशक, दो संयुक्त निदेशक, एक लेखाधिकारी, दो कार्यालय अधीक्षक, तीन आशुलिपिक, दो स्थापना सहायक, दो कम्प्यूटर सहायक, तीन ड्राइवर और तीन अनुसेवक के पद सृजित किए गए हैं। धर्मार्थ संस्थाओं व मंदिरों की व्यवस्थाओं के लिए 1985 में गठित धर्मार्थ कार्य विभाग में अभी तक मंत्री के अलावा एक अपर मुख्य सचिव होता था।

क्या काम करेगा धर्मार्थ कार्य निदेशालय :-

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम-1983 का गठन एवं संचालन प्रबन्धन
श्री काशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद का गठन एवं संचालन
श्री कैलाश मानसरोवर भवन गाजियाबाद का निर्माण एवं प्रबन्धन
चित्रकूट परिक्रमा स्थल एवं भजन संध्या स्थल का निर्माण
अयोध्या भजन संध्या स्थल का निर्माण एवं प्रबन्धन
वैदिक विज्ञान केन्द्र बीएचयू वाराणसी
कैलाश मानसरोवर तीर्थ यात्रा अनुदान
सिन्धु दर्शन यात्रा अनुदान, राज गोपाल ट्रस्ट लखीमपुर खीरी, अयोध्या का प्रबन्धन
बांदा के मौनी बाबा मेला का प्रबन्धन
बांदा के श्री गोपाल मंदिर चरखारी मंदिर का प्रबन्धन
बुलंदशहर के माँ बेला भवानी मंदिर का प्रबन्धन
महत्वपूर्ण पौराणिक स्थलों को पवित्र तीर्थ स्थल घोषित किया जाना
भिनगाराज संकट मोचन हनुमान जी मंदिर वाराणसी का प्रबन्धन
शाकम्भरी देवी सहारनपुर का प्रबन्धन
झांसी, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर, जालौन, वाराणसी के विलीनीकृत मंदिरों को अनुदान
सभी धार्मिक स्थलों के रजिस्ट्रेशन और रेगुलेशन से संबंधित अध्यादेश-2020