
Maha Shivratri 2018 : महाशिवरात्रि हिंदुओं का प्रमुख त्योहार माना जाता है। हिंदू धर्म में शिवलिंग के पूजन को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। महाशिवरात्रि का पर्व 14 फरवरी 2018 दिन बुधवार को ही मनाया जाएगा। शिवलिंग को भगवान शिव के रूप में देखा जाएगा और उसी की पूजा-अर्चना की जाएगी। महाशिवरात्रि के शुभ मुहूर्त की अवधि कुल 51 मिनट की है।
महाशिवरात्रि पर भी शिवलिंग की पूजा का खास महत्व होता है और भक्त इस दिन पूरी श्रद्धा भाव के साथ विधिवत रूप से शिवलिंग का अिभषेक करते हैं। हिंदू पंचांग कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी क? शिवरात्रि ि का उत्सव मनाया जाएगा। इस दिन रुद्राभिषेक का महत्व बहुत ही अच्छा माना जाता है और इस दिन भगवान शिव के पूजन से सभी रोग और शारीरिक दोष समाप्त हो जाते हैं। इस वर्ष 14 फरवरी 2018 को महाशिवरात्रि का पर्व पूरे देश में शिव भक्तों द्वारा बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाएगा।
लखनऊ शहर के अधिकांश शिव मंदिरों में महाशिवरात्रि पर्व कल 14 फरवरी दिन बुधवार को बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा। इन मंदिरों में भूतनाथ मन्दिर और मनकामेश्वर मंदिर, गोमेश्वर शिव मंदिर, रामेश्वर धाम लॉर्ड शिव मंदिर आदि शामिल हैं। सभी शिव मंदिरों में सुबह से देर शाम तक अनेकों आयोजन जाएंगे।
मनोकामनाएं पूरी करने के लिए रखें यह व्रत
महाशिवरात्रि के दिन सभी लोग सुबह जल्दी उठें और स्नान कर भगवान शिव को भी दूध से स्नान कराएं। भोलेनाथ की पूजा करें, भोग लगाएं, और पूरे दिन भगवान शिव के भजन, कीर्तन भी गाएं और शिवशम्भू को प्रसन्न करने के लिए पूरे दिन व्रत भी रखें। जिससे भगवान शिव उनके सारे कष्टों को हर लेगें। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूरी कहानी सुनें। भगवान शिव का व्रत रखने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। जो भी अपनी सारी मनोकामनाएं पूरी करना चाहता है तो वो अपनी सारी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए भगवान शिव का व्रत रखें और उनकी पूरी कहानी सुनें।
अविवाहित लड़कियां रखें व्रत
विवाह योग्य लड़कियां उत्तम वर पाने के लिए महाशिवरात्रि का उपवास रख सकती हैं। संभव हो सके तो मौन व्रत रखकर ही शिव की आराधना करें। पंचोपचार अथवा षोडषोपचार पूजन करें। पूजन के बाद भगवान शिव से याचक भाव से उत्तम वर की प्राप्ति तथा सफल वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करें।
भूलकर भी न करें यह गलतियां
महाशिवरात्रि के दिन अगर आप व्रत रख रहे हैं तो आप नमक, तेल, मसाले से बनी चीजों को नहीं खा सकते हैं अगर आपको व्रत के समय भूख लगती है। तो आप कुछ मीठा खा सकते हैं। और फलाहार भी कर सकते है। अगर आपने धोखे से भी नमक, तेल, मसाले से बनी चीजों को खा लीं। तो भगावन शिव आपसे नाराज हों जाएंगे जिससे आपके जीवन में कष्ट भी आ सकते हैं। इसलिए आप व्रत के समय पूरी तरह से सावधानी रखें जिससे आपके जीवन में किसी प्रकार का कोई कष्ट न आए।
ये भी पढ़ें - महाशिवरात्रि का पर्व किस तारीख को है, जानिए शुभ मुहूर्त
शिवलिंग की उत्पत्ति कैसे हुई
शिवलिंग महापुराण में सबसे पहले शिवलिंग की स्थापना ब्रह्मा और विष्णु की लड़ाई में हुई थी। इसका सिलसिलेवार ढ़ग से वर्णन किया गया है। शिवलिंग महापुराण के अनुसार जब एक बार भगवान ब्रह्मा और विष्णु के बीच अपनी-अपनी श्रेष्ठता साबित करने को लेकर विवाद हुआ था। तब दोनों अपने आपको श्रेष्ठ बताने के लिए एक-दूसरे का अपमान करने लगे। लेकिन जब दोनों का विवाद चरम सीमा तक पहुंच गया। तब अग्नि की ज्वालाओं से लिपटा हुआ एक विशाल शिवलिंग दोनों देवों के बीच आकर स्थापित हो गया था।
इसके बाद दोनों देव इस शिवलिंग के रहस्य का पता लगाने में जुट गए। भगवान ब्रह्मा उस शिवलिंग के ऊपर की तरफ बढ़े और भगवान विष्णु नीचे की ओर जाने लगे। हजारों वर्षों तक जब दोनों देव इस शिवलिंग का पता लगा पाने में नाकाम रहे, तो वह अपनी हार कबूलते हुए फिर उसी जगह पर पहुंचे जहां पर उन्होंने उस विशाल शिवलिंग को देखा था। शिवलिंग के पास पहुंचते ही दोनों देव को उस शिवलिंग के पास से ओम स्वर की ध्वनि सुनाई देने लगी। इस स्वर को सुनकर दोनों को यह अनुमान हो गया कि यह कोई शक्ति है। इसलिए दोनों देव वहीं ओम के स्वर की आराधना करने लगे।
ब्रह्मा और विष्णु की आराधना से भगवान शिव बेहद प्रसन्न हुए और उस विशाल शिवलिंग से स्वयं प्रकट हुए। उन्होंने दोनों देवों को सदबुद्धि का वरदान दिया और वहीं उस विशाल शिवलिंग के रुप में स्थापित होकर वहां से अंतर्ध्यान हो गए। शिवलिंग महापुराण के अनुसार यही विशाल शिवलिंग भगवान शिव का सबसे पहला शिवलिंग माना जाता है।
ये भी पढ़ें - महाशिवरात्रि पर ऐसे रखें व्रत, यह है पूरी प्रक्रिया
मनोकामनाएं पूरी करने के लिए भगवान शिव की सुनें पूरी कहानी
एक बार नारद मुनि शिवलोक गए। वहां जाकर उन्होंने वैष्णवों में श्रेष्ठ शिव जी का यह कह कर गुणगान करना शुरु कर दिया कि आप तो भगवान श्रीकृष्ण के सबसे प्रिय हैं। आपका उनसे कोई भेद नहीं है। आप और वे एक ही हैं। आप जीवों का हर तरह से कल्याण कर सकते हैं, यहां तक कि कृष्ण-प्रेम भी दे सकते हैं। अपनी महिमा सुन कर शिव जी ने बड़ी विनम्रता से नारद जी से कहा कि मैं तो श्रीकृष्ण का तुच्छ सा सेवक हूं, ये तो उनकी अहैतुकी कृपा है कि वे अपनी सेवाएं मुझे प्रदान करते हैं।
श्रीमद् भागवत में एक और प्रसंग है कि एक बार देवताओं और दैत्यों ने मिल कर भगवान के निर्देशानुसार समुद्र मंथन की योजना बनाई ताकि अमृत प्राप्त किया जा सके। परंतु उस समुद्र मंथन के समय सबसे पहले हलाहल विष निकला था। वह विष इतना विषैला था कि उससे समस्त जगत भीषण ताप से पीड़ित हो गया था। देव-दैत्य बिना पिए उसको सूंघते ही बेसुध से हो गए।
तब भगवान ने अपनी शक्ति से उनको ठीक किया। देवों ने जब इस विष से बचने का उपाय पूछा तो भगवान ने कहा कि शिवजी से अगर आप सब लोग प्रार्थना करें तो वे इसका हल निकाल लेंगे। श्रीशिव जी महाराज ने देवताओं की प्रार्थना पर भगवान की प्रसन्नता के लिए उस हलाहल विष को पीने का निर्णय लिया। अपने हाथों में उस विष को पी गए। किंतु उसको निगला नहीं। आपने विचार किया कि मेरे हृदय में रहने वाले भगवान को यह रुचेगा नहीं। इसलिए आपने वह विष अपने गले में ही रोक लिया। जिसके प्रभाव से आपका गला नीला हो गया और आप नीलकंठ कहलाए। आपकी ऐसी अद्भुत व अलौकिक चेष्टा की याद में ही श्री शिवरात्री मनाई जाती है। इस कथा के अनुसार इसीलिए महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।
महाशिवरात्रि शुभ मुहूर्त
वर्ष 2018 में महाशिवरात्रि का पर्व 14 फरवरी 2018, को मनाया जाएगा।
इस दिन शिवरात्रि निशिता काल पूजा का समय 24:09 से 01:01 तक रहेगा। मुहूर्त की अवधि कुल 51 मिनट की है।
14 तारीख को महाशिवरात्रि पारण का समय 07:04 से 15:20 तक रहेगा।
रात्रि पहले प्रहर पूजा का टाइम = 18:05 से 21:20 तक
रात के दूसरा प्रहर में पूजा का टाइम = 21:20 से 24:35 तक
रात्रि तीसरा प्रहर पूजा का टाइम = 24:35+ से 27:49 तक
रात्रि चौथा प्रहर पूजा का टाइम = 27:49+ से 31:04 तक
चतुर्दशी तिथि 13 फरवरी 2018, मंगवलार 22:34 से प्रारंभ होगी जो 15 फरवरी 2018, 00:46 बजे खत्म होगी।
Updated on:
13 Feb 2018 03:41 pm
Published on:
13 Feb 2018 11:57 am
बड़ी खबरें
View Allलखनऊ
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
