
यहां शिव मंदिरों पर उमड़ते हैं लाखों श्रद्घालु, जानिए वजह
वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर
काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश ही नहीं, देश के प्रमुख मंदिरों में से एक है। देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ मंदिर में सालों भर लोग गंगा नदी से पानी भरकर भगवान विश्वनाथ पर चढ़ाते हैं। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के बाद से तो यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
प्रयागराज का मनकामेश्वर मंदिर इलाहाबाद
प्रयागराज में सरस्वती घाट के पास यमुना नदी के तट पर स्थित मनकामेश्वर मंदिर में भी सावन में भक्तों का जमावड़ा लगता है। यहां पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ हर रोज जुटती है। विशेष रूप से सोमवार और नवरात्रि के दौरान भी तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ देखी जाती है। यहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु संगम तट से जल लेकर भगवान शिव को चढ़ाते हैं।
गोला गोकर्णनाथ, छोटी काशी
लखीमपुर खीरी के गोला गोकर्णनाथ छोटी काशी के नाम से भी प्रसिद्ध है। मान्यता है कि त्रेता युग में राम से युद्ध के समय रावण ने अपनी तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न किया, ताकि वह युद्ध जीत सके। शिवजी ने शिवलिंग का आकार लेकर रावण को लंका में शिवलिंग स्थापित करने का निर्देश दिया। इसके लिए भगवान शिव ने एक शर्त रखी कि शिवलिंग को बीच में कहीं पर भी नीचे नहीं रखना है। लेकिन रास्ते में रावण ने एक गड़रिये को शिवलिंग पकड़ने को कहा।
कहते हैं कि भगवान शिव ने अपना वजन बढ़ा दिया और गड़रिये को शिवलिंग नीचे रखना पड़ा। रावण को भगवान शिव की चालाकी समझ में आ गई और वह बहुत क्रोधित हुआ। रावण समझ गया कि शिवजी लंका नहीं जाना चाहते, ताकि राम युद्ध जीत सकें। क्रोधित रावण ने अपने अंगूठे से शिवलिंग को दबा दिया, जिससे उसमें गाय के कान जैसा निशान बन गया। इस मंदिर का उल्लेख वाराह पुराण में भी है।
हापुड़ का गढ़ मुक्तेश्वर धाम
यूपी के हापुड़ जिले में गढ़ मुक्तेश्वर गंगा नदी के किनारे बसा क्षेत्र है। मुक्तेश्वर शिव मंदिर और प्राचीन शिवलिंग कारखंडेश्वर यहीं स्थित है। गढ़मुक्तेश्वर में भगवान शिव ने परशुराम से मंदिर की स्थापना कराई थी। उस समय गढ़मुक्तेश्वर खांडवी वन के नाम से जाना जाता था। शिव मंदिर की स्थापना और बल्लभ संप्रदाय का प्रमुख केंद्र होने के कारण इसका नाम शिवबल्लभपुर पड़ा, जिसका वर्णन शिवपुराण में मिलता है।
अयोध्या का नागेश्वर नाथ मंदिर
अयोध्या में राम की पैड़ी में स्थित नागेश्वर नाथ मंदिर में सावन मास के मौके पर बड़ी संख्या में कांवड़िए पहुंचते हैं। इस मंदिर की स्थापना महाराजा कुश के करवाए जाने की कहानी है। यहां की शिव बारात काफी लोकप्रिय है।
बाराबंकी का लोधेश्वर महादेव मंदिर
बाराबंकी के रामनगर स्थित लोधेश्वर महादेव मंदिर का फाल्गुनी मेले में हर साल कानपुर और बिठुर से गंगाजल लेकर लोग यहां पहुंचते हैं। मंदिर के बाद कहा जाता है कि इसकी स्थापना पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इसकी स्थापना की थी। यहां पर भी सावन में भारी संख्या में कांवड़िए जल चढ़ाने आते हैं।
आगरा का बल्केश्वर महादेव मंदिर
आगरा में बल्केश्वर महादेव मंदिर अपनी परंपराओं और मान्यताओं को लेकर खासी विख्यात है। 600 साल पुराने शिवलिंग का अद्भुत श्रृंगार भी भक्तों के बीच काफी चर्चित है। सावन में यहां पर भक्त कांवड़ लेकर पहुंचते हैं।
मथुरा का गोपेश्वर महादेव मंदिर
मथुरा के वृंदावन में गोपेश्वर महादेव मंदिर एक प्रमुख तीर्थस्थल है। वंशी बट और यमुना नदी के तट पर स्थित इस मंदिर में वैसे तो सालों भर यहां श्रद्धालु आते हैं। लेकिन, सावन मास में भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग का दर्शन करने वाले भक्तों की संख्या काफी ज्यादा होती है। यमुना नदी से जल भर कर यहां पर भगवान गोपेश्वर महादेव को अर्पित किया जाता है।
गोंडा का पृथ्वीनाथ शिवधाम
गोंडा जिले में मौजूद ऐतिहासिक शिव के धाम बाबा पृथ्वीनाथ मंदिर की स्थापाना खुद महाबलशाली भीम ने की थी। पौराणिक कथाओं में जिक्र है कि अज्ञातवास के दौर में पांडुपुत्र भीम ने राक्षस बकासुर का वध किया था. इस पाप से मुक्ति पाने के लिए भीम ने भगवान शिव की आराधना कर विशाल शिवलिंग की स्थापना की थी. पृथ्वीनाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग को एशिया का सबसे बड़ा शिवलिंग माना जाता है।
खरगूपुर में स्थित ऐतिहासिक पृथ्वीनाथ मंदिर करीब 5 हजार साल पुराना माना जाता है. मान्यता है कि पांडवों ने चक्रनगरी में अज्ञातवास के दौरान शरण ली थी. यहां रहने वाला बकासुर नाम का राक्षस हर रोज एक व्यक्ति को भोजन के तौर पर खा जाता था। खास बात ये कि पुरातत्व विभाग ने इसे एशिया के सबसे बड़े शिवलिंग के तौर पर मान्यता दी है.
बागपत के पुरा महादेव मंदिर में उमड़ती है भीड़
बागपत-मेरठ जिला सीमा पर हिंडन के तट पर स्थित इस मंदिर की स्थापना के बारे में माना जाता है कि इसे भगवान परशुराम ने स्थापित किया था। यही वजह है कि कांवड़ियों के लिए महादेव के मंदिर का खास महत्व है।
सोमवार को शिव उपासना विशेष फलदाई
भगवान शिव की उपासना के लिए सप्ताह के सभी दिन अच्छे माने जाते हैं लेकिन सोमवार को शिव की आराधना का एक विशेष महत्व होता है। वैसे तो हर महीने एक शिवरात्रि आती है, लेकिन हिंदी महीनों के अनुसार फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव की बड़ी धूमधाम से पूजा की जाती हैं।
Updated on:
18 Feb 2023 08:50 am
Published on:
18 Feb 2023 07:27 am
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