
केंद्र सरकार ने उत्तराखंड के आईजी रैंक के कई अफसरों को डीआईजी माना है
Cadre discrepancies:आईजी रैंक के कई वरिष्ठ आईपीएस अफसरों को केंद्र सरकार ने डीआईजी स्तर का अधिकारी माना है। इससे उत्तराखंड में गृह विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। बताया जा रहा है कि गृह विभाग की कार्य प्रणाली के कारण ही आईपीएस कैंडर में बड़ी विसंगतियां पैदा हो गई हैं। इसके चलते उत्तराखंड कैडर के आईपीएस अफसरों का केंद्रीय सूची में इंपैनल्ड नहीं हो पा रहा है। साल 2005 और 2006 के 10 आईपीएस में से मात्र दो ही केंद्रीय सूची में आईजी रैंक में इंपैनल्ड हैं। जबकि आठ अफसरों को केंदीय सूची में अब भी डीआईजी रैंक में दर्शाया गया है। वास्तविक तौर पर उत्तराखंड में ये अफसर पूर्व में ही आईजी रैंक हासिल कर चुके हैं। दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रतिनियुक्ति के लिए जो ऑफर लिस्ट भेजी है, उसमें अधिकतर को एक रैंक नीचे दर्शाया गया है। जो उत्तराखंड में आईजी रैंक के हैं उन्हें केंद्रीय सूची में डीआईजी दर्शाया गया है। यानी कि आईजी रैंक हासिल करने के बाद भी इन अफसरों को केंद्र के पैनल में शामिल नहीं किया गया है। उत्तराखंड के गृह सचिव शैलेश बगौली के मुताबिक राज्य से आठ नाम पीएचक्यू के प्रस्ताव पर ही भेजे गए थे, लेकिन कुछ अफसरों ने प्रतिनियुक्ति में असमर्थता जताई है। उनके नाम ड्रॉप किए जाने को लेकर केंद्र को पत्र लिखा है। गृह सचिव के मुताबिक जहां तक विसंगति की बात है, केंद्र और राज्य की इंपैनल्ड की अलग-अलग प्रक्रिया है। इंपैनल्ड की प्रक्रिया केंद्र के स्तर से पूरी की जानी है।
उत्तराखंड में 2005 बैच के छह आईपीएस अधिकारी हैं। इनमें केवल खुराना, रिद्धिम अग्रवाल, कृष्ण कुमार वीके, नीरू गर्ग, मुख्तार मोहसिन, नीलेश आनंद भरणे शामिल हैं। ये सभी आईपीएस अफसर पूर्व में ही आईजी रैंक पा चुके हैं। लेकिन केंद्र की सूची में रिद्धिम अग्रवाल ही आईजी रैंक में इनपैनल्ड हैं। शेष पांच अफसर अभी भी केंद्रीय सूची में डीआईजी दर्शाए गए हैं। इसके अलावा 2006 बैच की स्वीटी अग्रवाल, अरुण मोहन जोशी, अनंत शंकर ताकवाले भी आईजी रैंक हासिल कर चुके हैं। केंद्रीय सूची में स्वीटी अग्रवाल को ही आईजी रैंक में दर्शाया गया है। शेष तीन आईपीएस अफसर अभी भी डीआईजी दर्शाए गए हैं।
उत्तराखंड कैडर का कोई भी सीनियर आईपीएस केंद्र सरकार की प्रतिनियुक्ति पर जाता है तो ऐसे हालात में उस अफसर को वहां अपने जूनियर के नीचे काम करना पड़ सकता है। इस स्थिति को ऐसे समझा जा सकता है। मान लें कि यदि 2005 बैच के पांच आईपीएस अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाते हैं तो उन्हें 2006 बैच की आईपीएस के अंडर काम करना पड़ सकता है। केंद्र की सूची में 2006 बैच की आईपीएस स्वीटी अग्रवाल को आईजी रैंक मिली है। वहीं 2005 के आईपीएस अफसर अब भी डीआईजी रैंक में दर्खाएं गए हैं।
Updated on:
06 Jan 2025 05:54 pm
Published on:
06 Jan 2025 05:52 pm
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