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मायावती ने खाली किया सरकारी बंगला, सियारी गलियारे में चर्चाएं तेज, क्या हो सकती है वजह?

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने लोधी एस्टेट स्थित अपने सरकारी बंगले को खाली कर दिया है। यह आवास उन्हें पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर आवंटित किया गया था।

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लखनऊ

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Prateek Pandey

May 27, 2025

Picture Source: Social Media

फोटो: सोशल मीडिया

मायावती के बंगला खाली करने की वजह को लेकर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि यह फैसला सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखकर लिया गया है।

पिछले साल हुआ था रेनोवेशन

बताया जा रहा है कि मायावती का यह बंगला पिछले साल ही रिनोवेट किया गया था और इसमें 20 से अधिक कमरे थे। उनका यह अचानक लिया गया फैसला राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। खासतौर पर यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब लोकसभा चुनाव 2024 में बसपा के बेहद खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी की राष्ट्रीय पहचान पर सवाल उठने लगे हैं।

क्या है सुरक्षा का कारण?

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बंगला खाली करने का फैसला मुख्य रूप से सुरक्षा कारणों के चलते लिया गया है। जानकारी के अनुसार, बंगले से महज 100 मीटर की दूरी पर एक स्कूल स्थित है। स्कूल की वैन और बच्चों को लाने-ले जाने वाले अभिभावकों की गाड़ियां अक्सर बंगले के सामने सड़क पर खड़ी रहती थीं। वहीं मायावती की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों के वाहन भी उसी क्षेत्र में खड़े रहते थे, जिससे दोनों पक्षों को असुविधा हो रही थी। इसी वजह से यह फैसला लिया गया है।

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राजनीतिक नजरिए से भी देखा जा रहा है फैसला

हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक इसे पार्टी की मौजूदा हालत और भविष्य की रणनीति से भी जोड़कर देख रहे हैं। कुछ जानकारों का मानना है कि बंगला खाली करना पार्टी में आंतरिक मंथन और नेतृत्व परिवर्तन की ओर भी इशारा करता है। हाल ही में मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी से बाहर निकालने के बाद पुनः शामिल करते हुए बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी।

अगला ठिकाना क्या होगा?

फिलहाल, मायावती के अगले आवास को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें नया बंगला कहां और कब आवंटित होगा। लेकिन यह घटनाक्रम बसपा और मायावती की रणनीति को लेकर आने वाले दिनों में कई राजनीतिक संकेत दे सकता है।

2024 के लोकसभा चुनावों में बसपा का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी। पार्टी का वोट शेयर भी घटकर 9.24% रह गया, जो 2022 के विधानसभा चुनावों के 12.88% से काफी कम है।