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लखनऊ, वाराणसी और गोरखपुर सहित यूपी के 47 जिलों में लगेंगे आक्सीजन प्लांट, केंद्र ने दी मंजूरी

- पीएम केयर्स के ज़रिए देश भर में 551 संयंत्र लगेंगे- प्रधानमंत्री ने कहा- जल्द जल्द से शुरु होंगे यह संयंत्र

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लखनऊ

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Abhishek Gupta

Apr 25, 2021

Medical Oxygen Plant

Medical Oxygen Plant

पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क.
लखनऊ. अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए पीएम केयर्स फंड (pm cares fund) ने उत्तर प्रदेश के कुल 47 जिलों में चिकित्सकीय आक्सीजन के संयंत्रों (Medical Oxygen Plant) को लगाया जायेगा। दरअसल पूरे देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कुल 551 समर्पित पीएसए (प्रेशर स्विंग ऐड्सॉर्प्शन) चिकित्सा ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों की स्थापना होगी। इसमें यूपी के भी अधिकतर जिले शामिल हैं, जिसके लिए फंड को मंजूरी दे दी गई है। प्रधानमंत्री ने इन संयंत्रों को जल्द से जल्द शुरू करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि इन संयंत्रों से जिला स्तर पर ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने में काफी मदद मिलेगी।

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यूपी के इन जिलों में लगेगा ऑक्सीजन संयत्र-

उतर प्रदेश के जिन जिलो में आक्सीजन संयत्र को लगाने की मंजूरी दी गई है उनमें लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, आगरा, अलीगढ, आजमगढ, बहराइच, बलिया, बाराबंकी, बरेली, बस्ती, बंदायू, बुलंदशहर, देवरिया, ईटावा, फैजाबाद, फरुखाबाद, फतेहपुर, फिरोजाबाद, गौतमबुद्दनगर, गाजियाबाद, गाजीपुर, गोंडा, हरदोई, जालौन, जौनपुर, झांसी, कन्नौज, कानपुरनगर, लखीमपुरखीरी, ललितपुर, मथुरा, मेरठ, मिर्जापुर, मुरादाबाद, मुज्जफरनगर, पीलीभीत, प्रतापगढ, प्रयागराज, रायबरेली, रामपुर ,सहारनुपर, शाहजहांपुर, सीतापुर, सुल्तानपुर और उन्नाव शामल हैं। वहीं उतराखंड के भी कुछ जिलों में आक्सीजन संयंत्र लगाने को मंजूरी दी गयी है। अल्मोडा, देहरादून, नैनीताल,पौड़ी गढवाल, पिथौरागढ, उधम सिंह नगर और उतर काशी में यह स्थापित होंगे।

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सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली होगी और मजबूत-

जिला मुख्यालयों के सरकारी अस्पतालों में पीएसए ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को और मजबूत करना है और यह सुनिश्चित करना है कि इनमें से प्रत्येक अस्पतालों में कैप्टिव ऑक्सीजन उत्पादन की सुविधा बनी रहे। इस तरह से अपने स्तर पर ऑक्सीजन उत्पादन सुविधा से इन अस्पतालों और जिले की दिन-प्रतिदिन की मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरतें पूरी हो सकेंगी। इसके अलावा, तरल चिकित्सा ऑक्सीजन (एलएमओ) कैप्टिव ऑक्सीजन उत्पादन के 'टॉप अप' के रूप में काम करेगा। इस तरह की प्रणाली यह सुनिश्चित कर सकेगी कि जिले के सरकारी अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति में अचानक व्यवधान न उत्पन्न हो सके और कोरोना मरीजों व अन्य जरूरतमंद मरीजों के लिए निर्बाध रूप से पर्याप्त ऑक्सीजन मिल सके।

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