
यूपी में ढाई करोड़ से ज्यादा लोगों को पीएम विश्वकर्मा योजना का मिलेगा लाभ।
Vishwakarma Yojana Form: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने जन्मदिन और भगवान विश्वकर्मा की जयंती पर 'पीएम विश्वकर्मा' योजना की शुरुआत की है। इसका यूपी में 2.50 करोड़ से ज्यादा लोगों को सीधा लाभ मिलेगा। 'पीएम विश्वकर्मा' योजना का उद्देश्य न केवल देशभर के ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक रूप से समर्थन देना है। बल्कि स्थानीय उत्पादों, कला और शिल्प के माध्यम से सदियों पुरानी परंपरा, संस्कृति तथा विविध विरासत को जीवित और समृद्ध रखना भी है। एक आंकड़े के मुताबिक यूपी में 2.50 करोड़ से ज्यादा कारीगर और शिल्पकारों ने मुख्यमंत्री श्रमिक पोर्टल पर अपना पंजीकरण पहले से ही कराया है।
केंद्र सरकार ने 'पीएम विश्वकर्मा' योजना को शुरू करने की घोषणा केंद्रीय बजट 2023-24 में की थी। इस योजना के लिए वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2027-28 तक वित्तीय परिव्यय 13,000 करोड़ रुपये रखा गया है। यहां ध्यान देने योग्य यह है कि साल 2022 में योगी सरकार (Uttar Pradesh Government) ने असंगठित क्षेत्र के सबसे अधिक 8.22 करोड़ श्रमिकों का पंजीकरण केंद्र के ई-श्रम पोर्टल पर किया था। एक आंकड़े के मुताबिक के इसमें करीब 2.50 करोड़ से ज्यादा कारीगर और छोटे शिल्पकारों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया है।
इसके तहत, 'विश्वकर्मा' (कारीगरों व शिल्पकारों) को बायोमेट्रिक आधारित 'पीएम विश्वकर्मा पोर्टल' का इस्तेमाल करके सामान्य सेवा केंद्रों (सीएससी) के माध्यम से नि:शुल्क पंजीकृत किया जाएगा। उन्हें पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और पहचान पत्र के माध्यम से मान्यता प्रदान की जाएगी और कौशल उन्नयन के लिए बुनियादी तथा उन्नत प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
योजना के तहत पंजीकृत कारीगरों को विश्वकर्मा सर्टिफिकेट और आईडी कार्ड, 15 हजार रुपये टूलकिट प्रोत्साहन, 5 फीसदी की रियायती ब्याज दर पर एक लाख रुपये (पहली किस्त) और दो लाख रुपये (दूसरी किस्त) तक कोलेटरल फ्री क्रेडिट सपोर्ट दिया जाएगा। डिजिटल ट्रांजेक्शन के लिए प्रोत्साहन और मार्केटिंग सपोर्ट भी दिया जाएगा। 500 रुपये रोजाना के स्टाइपेंड पर आधारभूत कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा।
'पीएम विश्वकर्मा योजना' में 18 पारंपरिक शिल्प-कलाओं को शामिल किया गया है। इनमें कारपेंटर (बढ़ई), नाव बनाने वाले, अस्त्र बनाने वाले, लोहार, ताला बनाने वाले (मरम्मतकार), हथौड़ा और टूलकिट निर्माता, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, मोची, राज मिस्त्री, टोकरी, चटाई, झाड़ू बनाने वाले, पारंपरिक गुड़िया और खिलौने बनाने वाले, नाई, मालाकार यानी माली, धोबी, दर्जी, मछली का जाल बनाने वालों को इसका लाभ मिलेगा।
Published on:
17 Sept 2023 03:55 pm
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