
कोर्ट ने मुख्तार अंसारी 26 अप्रैल को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश करने का निर्देश दिया है।
उत्तर प्रदेश के बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी की मुश्किलें कम नहीं हो रही है। उनके खिलाफ जबरन वसूली मामले में आरोप तय हो गया है। लेकिन तीन महीने बाद भी मुकदमा शुरू नहीं हुआ है। मुख्तार अंसारी के वकील ने दावा किया है कि जेल उन्हें पावर ऑफ अटॉर्नी पर हस्ताक्षर करने की अनुमति नहीं दे रहा है। इस मामले में पांच बार सुनवाई टाली जा गई है।
अदालत ने जेल अधीक्षक को अनुपालन सुनिश्चित करने और अंसारी को 26 अप्रैल को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश करने का निर्देश दिया है। अदालत ने चेतावनी दी है कि गैर-अनुपालन को गंभीरता से लिया जाएगा। क्योंकि यह अभियुक्त का बचाव करने का अधिकार है। आदेशों की प्रति बांदा जेल अधीक्षक को अनुपालन हेतु भी भेजी गयी है।
मामला क्या था?
कोर्ट ने माना था कि आरोपी मुख्तार अंसारी के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है। 2019 में, मोहाली में एक बिल्डर ने अंसारी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि उसे गैंगस्टर का फोन आया था, जिसने उससे 10 करोड़ रुपये की मांग की थी।
इसके बाद पुलिस अंसारी को यूपी की जेल से प्रोडक्शन वारंट पर ले आई। 10 मार्च, 2021 को मोहाली पुलिस ने अंसारी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।
5 बार टल चुकी है सुनवाई
अंसारी को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पेश किया गया था। इसलिए जेल अधीक्षक को आरोपी द्वारा चार्जशीट पर हस्ताक्षर कराने का निर्देश दिया गया था। सुनवाई की अगली तिथि तीन फरवरी निर्धारित की गयी। तब से अब तक मामले की सुनवाई पांच बार टल चुकी है। 17 फरवरी और 3 मार्च को दो मौकों पर अंसारी को वीसी के माध्यम से अदालत में पेश नहीं किया गया, जबकि 15 मार्च को अंसारी वीसी के माध्यम से पेश हुए और अदालत से एक नए वकील को नियुक्त करने का आग्रह किया।
29 मार्च की सुनवाई टाल दी गई क्योंकि जेल अधिकारी वीसी के माध्यम से अंसारी को पेश करने में विफल रहे।
Updated on:
22 Apr 2023 03:13 pm
Published on:
22 Apr 2023 02:47 pm
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